पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४७७

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विपक-निर्देशिका का - माजी उगवन में प्रति- ४१० किराया समीन-देखें किराया। - पान में उत्पादन माधनों के किसान, कृषक, काश्तकार : मन में भेद ना परिरक्षण-१८१ -भूदास प्रथा पर अाधारित माल उत्पादन - -मानीकन उत्पादन में श्रम शक्ति और १०६, ११० सावन गाधनों का वितरण-३१६-३१७ - पूंजीवादी उत्पादन और कृषि उत्पादक - पुनरसादन- ३१६, ३६४-३६५, ४१० का उजरती मजदूर के रूप में विकास - -में उत्पादन का आयोजन -३१६ ११२ - सामाजीत उसादन में क्षेत्र 1 के उत्पाद - कृपक अर्थव्यवस्था में पूर्ति - १३२ का वितरण-३७३ - पावर्त के विलंबित होने से छोटे फ़ार्मरों -पुनन्दादन प्रमिया पर समाज और काश्तकारों के बीच अव्यवस्था- नियंत्रण-४१० २१२-२१३ कार्य प्रयधि: - कृपक कुटीर उद्योग-२१७ -~की दीर्घता और प्रचल पंजी का निवेश - - कृषि का गीण उद्योगों से संयोग-२१७ २०९, २८३ क़ीमत (दान): - लंबी कार्य अवधि की अपेक्षा करनेवाले - मालों की और परिचलनगत मुद्रा राशि - उपक्रम- २१० १०६, २५५, ३०३ -को घटाने के साधन-२११-२१२ - बाजार भाव और क्रय-विक्रय क्रियाएं - - पेणगी पूंजी और कार्य अवधि का न्यूनी २६०-२६१, २८२-२८३ २११-२१२ - मजदूरी और उत्पादन की कीमत - ३००- -को गृपि में पटाने के साधन २१२ ३०१ - उत्पादन काल और कार्य काल-२१५ - मजदूरी में वृद्धि और कीमतों का चढ़ना २२४ -३०१-३०२ - पीर स्थायी पूंजी-२४६-२५० - मूल्यों से कीमतों का अपसरण और - का घटाया जाना और उत्पादक पूर्ति सामाजिक पूंजी की गति – ३४५-२४६ २५.८-२६० - समृद्धि के दौर में कीमतों का चढ़ना. -और उत्पादन की भौतिक परिस्थितियां- २८२-२५३, ३१६ कृषि: कार्य दिवस: - कृपक अर्थव्यवस्था का माल स्वरूप-१११ -ग्रार कार्य अवधि-२०७-२०८ -नैसर्गिक अर्थव्यवस्था-१११ - की दीपंता और स्थायी पूंजी का नियो - कच्चे माल का उत्पादन-१३४-१३५ जन-२१५-२१६ -उत्पादन का प्रसार-१६० - और वेशी मूल्य का उत्पादन - ३३६-३४० - में प्रयुक्त पूंजी के बारे में केने - १७४ किराया : - कर तथा किराया हानिकर हैं- २१२ -की रॉडबेटंस की धारणा-१८, २०, २२ - में कार्य अवधि-२११-२१२, २१७ - की ऐडम स्मिय की धारणा-१६-२० - में उत्पादन काल तथा कार्य काल में की सिाडों की धारणा-२०-२१ अंतर-२१६-२१८, २२२ -मटोरिया निर्माण कार्य और किराये की -खेतिहर मजदूर की अवस्था- २१७ वृद्धि - २१०-२११ - में यावर्त काल का न्यूनीकरण - २१८-२२०