पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/९७

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पंजो के सांतरण और उनके परिपथ में पल-मिल जाती है, और जो उनके कारण आवश्यक बनती है। उदाहरण के लिए, यदि हम हिनी देश में प्रति वर्ष निर्मित पप्य वस्तुओं के समुच्चय को लें और उस गति का विश्लेषण करें, जियो द्वारा उसका एक अंग नमस्त वैयक्तिक व्यवसायों में उत्पादक पूंजी को प्रतिस्थापित करता है, जब कि दूसरा ग्रंश विभिन्न वर्गों के वैयक्तिक उपभोग में प्रवेश करता है, तब हम मा' मा' का विवेचन सामाजिक पूंजी की गति के एक रूप की तरह , और उस वेशी मृल्य अथवा बेगी उत्पाद की गति के रूप को हैसियत से भी करते है, जो उसके द्वारा सृजित होती है। नामाजिक पूंजी वैयक्तिक पूंजियों के योग के बराबर होती है ( जिसमें संयुक्त स्टॉक पूंजी अथवा जिस हद तक सरकारें खानों, रेलों, आदि में उत्पादक उजरती श्रम को लगाती हैं और प्रौद्योगिक पूंजीपतियों का कार्य करती हैं, राजकीय पूंजी शामिल है ) और सामाजिक पूंजी की नमन गति वैयक्तिक पूंजियों की गतियों के बीजीय योग के बराबर होती है। इस तथ्य में यह संभावना किसी प्रकार ख़त्म नहीं हो जाती कि पृथक वैयक्तिक पूंजी की गति के रूप में यह गति तब इसी गति से भिन्न परिघटना प्रस्तुत कर सकती है कि जब उस पर सामाजिक पूंजी की समग्र गति के एक भाग के दृष्टिकोण से और इसलिए उसके अन्य भागों की गतियों मे उसकी परस्पर संबद्धता में विचार किया जाता है; और यह गति साथ ही उन समस्याओं को हल कर देती है, जिनके समाधान को पृथक वैयक्तिक पूंजी के परिपथ का अध्ययन करते समय ऐसे अध्ययन का परिणाम होने के बजाय कल्पित करना होता है। मा' मा' वह एकमात्र परिपथ है, जिसमें मूलतः पेशगी पूंजी मूल्य उस छोर का अंश माव होता है, जो गति की शुरुअात करता है, और जिसमें इस प्रकार गति प्रारंभ से ही स्वयं को प्रौद्योगिक पूंजी की कुल गति की हैसियत से - उत्पाद के उस भाग की गति की हैसियत से , जो उत्पादक पूंजी को प्रतिस्थापित करता है, और उस भाग की गति की हैसियत ने जाहिर करती है, जो वेशी उत्पाद निर्मित करता है और जो ग्रीसतन अंशतः प्राय के रूप में खर्च किया जाता है और अंशतः संचय के एक तत्व की तरह काम में लाया जाता है। जिम हद तक इस परिपथ में आय की हैसियत से वेशी मूल्य का खर्च किया जाना शामिल है , इस हद तक उसमें वैयक्तिक उपभोग भी शामिल है। यह वैयक्तिक उपभोग इस कारण भी शामिल है कि प्रारंभ विंदु मा , माल , किसी उपयोगिता के रूप में विद्यमान होता है। किंतु पूंजीवादी तरीकों से उत्पादित हर चीज माल पूंजी होती है ; इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि उसका उपयोग रूप उसे उत्पादक उपभोग के लिए नियत करता है, या वैयक्तिक उपभोग के लिए , अथवा दोनों के लिए। द्र ... द्र' केवल मूल्य पक्ष , पेशगी पूंजी मूल्य के स्वविस्तार , को सारी प्रक्रिया के उद्देश्य के रूप में दर्शाता है। उ उ (उ' ) पूंजी की उत्पादन प्रक्रिया को उमी अयवा परिवर्धित परिमाण (संचय ) की उत्पादक पूंजी के साथ पुनरुत्पादन की प्रक्रिया के रूप में दर्शाता है ; मा' मा' अपने प्रारंभिक चरम में ही अपने को पूंजीवादी माल उत्पादन के रूप में जाहिर करता है। प्रारंभ से ही उसमें उत्पादक और वैयक्तिक उपभोग ममाहित होता है। उसमें सम्मिलित उत्पादक उपभोग तथा मूल्य का स्वप्रसार इसकी गति की केवल एक शाखा के रूप में प्रकट होते हैं । अंत में, चूंकि मा' ऐसे उपयोग रूप में विद्यमान हो सकता है, जो किसी उत्पादन प्रक्रिया में और प्रवेश नहीं कर सकता, इसलिए प्रारम्भ में ही यह निर्दिष्ट कर दिया जाता है कि मा' के उत्पाद के अंगों द्वारा व्यंजित विभिन्न मूल्यगत मंघटक अंगों को इनके अनुसार अब भिन्न स्थान ग्रहण करना होगा कि मा' , - मा' को