पृष्ठ:काव्य-निर्णय.djvu/६३९

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'६०४ काव्य-निर्णय अस्य उदाहरन मिरक । भीर प्र नजनिक र दल दासपर | सुख ललित पाखें सोभित बिह 2- सरदसरवरी नम गरबह ना सतम बत अभैर का तिब ३-तनमान जैमरान रह त यह रूप वि०-"यह छत्र-बंध चित्र तीन ३-६ तूलिका, दो-प्रादि और मध्य संयुक्त चंद्राकार तनाब और एक डंडी मिलकर नौ भागों में क्मिक है। इन ३४६ तूलिकाओं के संगम स्थल में जो कोष्टक है उसमें 'न' अक्षर विराजमान