पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/१०

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१३३ १४५ १५४ ४ नये आलंबन ५१ ३४ सौदर्यानुभूति और ५ आलंबन विभाव और भाव ५३ रसानुभूति १२७ ६ आलंबन का रंग-रूप ५५ ३५ काव्यानन्द के कारण १२८ ७ उद्दीपन विभाव ५७ ३६ रसास्वाद के बाधक विघ्न १३० ८ उद्दीपन के प्रकार ५६ १३७ साधारणीकरण ६ अनुभाव ६० ३८ साधारणीकरण मे मतभेद १३५ १० सात्त्विक अनुभाव के भेद ६२ । ३६ साधारणीकरण और ११ नायिका के २८ अनुभाव ६५ व्यक्ति-वैचित्र्य १३७ १२ अनुभाव-विवेचन ६८ '४० साधारणीकरण क्यो १३ संचारी भाव ७० होता है ? १४२ १४ संचारी भाव और चित्तवृत्तियाँ ८४ .४१ साधारणीकरण के मूलतत्त्व १४३ १५ कल्पित संचारी ६१२४२ लौकिक रस और १६ संचारियों का अन्तर्भाव ६३ अलौकिक रस १७ स्थायी भाव ६५ ४३ रस और मनोविज्ञान १८ स्थायी भाव के भेद ६७ . ४४ रस-विमर्श १६० १६ स्थायी भाव-वैज्ञानिक .४५ रस-संख्या-विस्तार दृष्टिकोण १०२ . ४६ रस-संख्या-संकोच १६४ २० स्थायी भाव की कसौटी १०५ ४७ रसो का मुख्य-गौण-भाव २१ स्थायो और संचारी का __४८ रसो के वैज्ञानिक भेद । तारतम्य १०७ । ४६ रस-सामग्री-विचार २२ भाकों का भेद-प्रदर्शन १०८ चौथा प्रकाश २३ रसनीय भावों को योग्यता ११० एकादश रस २४ रस की अभिव्यक्ति १ शृङ्गार-रस १७७ २५ रस समूहात्मक होता है ११३ २ शृङ्गार-रस-सामग्री २६ विभाव आदि रस नही ११५ ३ संभोग शृङ्गार १८१ २७ रस व्यक्त होता है ११७ । ४ विप्रलंभ शृङ्गार १८३ २८ रस-निष्पत्ति में आरोपवाद ११६ ५ रौद्र-वीर-रस-शंकापक्ष २६ रस-निष्पत्ति में अनुमानवाद १२१ ६ रौद्र-वीर-रस-समाधानपक्ष १५८ ३० रस-निष्पत्ति में भोगवाद १२२ । ७ वीर-रस १६१ ३१ रस-निष्पत्ति में अभिव्यक्तिवाद १२३ ८ वीर-रस-सामग्री १९२ ३२ रस-निष्पत्ति में ६ रौद्र रस १६६ नवीन विद्वानों का मत १२४ १० भयानक रस ३३ अनुभूतियाँ १२५ ११ अद्भुत रस २००.. १६७ १८६ १६८.