पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/१०९

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दूसरा प्रकाश अर्थ (क) अभिधा पहली छाया शब्द शब्द का शास्त्रों में अधिक महत्त्व है । शास्त्र में जो वाचक है वही शब्द है। (क) श्रूयमाण होने से शब्द के दो भेद होते हैं-१. ध्वन्यात्मक और २. वर्णात्मक । ध्वन्यात्मक शब्द वे हैं जो बीणा, मृदंग आदि वाद्ययन्त्रों, पशुपक्षियों को बोलियों और श्राघात के द्वारा उत्पन्न होते हैं। वर्णात्मक शब्द वे है जो वर्षों में स्पष्टतः बोले या लिखे जाते है। (ख) प्रयोग-भेद से वर्णात्मक शब्द के भेद होते हैं-१. सार्थक और २. निरर्थक । सार्थक शब्द वे हैं जो किसी वस्तु बा विषय के बोधक होते हैं। जैसे-राम, श्याम आदि। ___ निरर्थक शब्द वे हैं जिनसे किसी विषय का ज्ञान नहीं होता । जैसे- पागल का प्रलाप, आय-बांब आदि। (ग) श्रुति-भेद से सार्थक शब्द के दो भेद होते हैं- १. अनुकूल और २. प्रतिकूल। प्रयोगार्ह सार्थक शब्द को पद कहते हैं। पद दो प्रकार के होते हैं-1. नाम और २. आख्यात । विशेष्य वा विशेषणवाचक पद को नाम और क्रियावाचक पद को आख्यात कहते है । पद उद्देश्य भी होता है और विधेय भी। जिस पद से सिद्ध वस्तु का कथन हो वह उद्देश्य और जिस पद से अपूर्व वेधान हो वह विधेय है। का० द०-७