पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/२०२

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११४ काव्यदर्पण लम्बनात्मक ही होती है। अर्थात् एक भाव से अन्य दोभावों का श्राक्षेप हो जाता है। केवल विभाव के वर्णन का एक उदाहरण देखे- सभी अन्तर में वही छवि सभी प्राणों में वही स्वर, सभी भावों में वही धुन सभी गीतों में वही लय, वृक्ष जैसे मूक से मृदु तान सुनने को समुत्सुक, नदी जैसे तृषित-सी लहरें महा आकुल भ्रमित पथ, प्राण हो सब विश्व का केवल जड़ित उस मुरलिका में। -उदयशंकर भट्ट प्रेमिका राधा यहाँ श्रालंबन विभाव है और छवि, स्वर, धुन, लय आदि उद्दीपन विभाव हैं। कृष्ण-प्रेमिका राधा के असाधारण बालबन होने के कारण अन्य रस की व्यञ्जना स स नहीं । अतएव, विभावों के बल से अंगों का वैवश्य उत्कर्ण होना आदि अनुभाव, मोह, चिन्ता, उत्प.ठा आदि संचारियों का आक्षेप हो जाता है । अतः यहाँ विप्रलभ शृङ्गार-रस की व्यञ्जना है। इसी प्रकार अन्य दो को भी समझ लेना चाहये। कवल अनुभाव का उदाहरण- टप टप टपकत सेवकन अंग-अंग थहरात । नीरजनयनी नयन में काहे नीर लखात ।-हरिऔध इस दोहे में स्वेदकरण का टपकना, अग घहराना, आँखों में आँसू का आना सभी अनुभाय हैं । इसमें नीरजनयनी को बालंबन मान लिया। स्वेद, कंप और अश्र रस के प्रकाशक हैं । इसीसे अनुभाव में इनको गणना है। किन्हीं उद्दीपनों के कारण हो ये अनुभाव हुए होंगे। हर्ष, लज्जा श्रादि जो संचारी हैं उनका श्राक्षेप भी अनुभाव से ही हो जाता है। केवल उद्दीपन का उदाहरण- वामिनि दमकि रही घन माहीं। खल की प्रीति जथा थिर नाहीं। बरसहि जलद भूमि नियराये । जथा नहि बुध विद्या पाये। इनमें आदि के पदों में सोदाहरण उद्दीपन ही हैं। यहाँ राम बालंबन, राम का विकल होना अनुभाव और मोह, चिन्ता, स्मृति, धृति श्रादि संचारियों का श्राक्षेप हो जाता है ? • केवल सचारी का उदाहरण- बिकसित उत्कण्ठित रहत छिनहु नहिं समुहात ! पति के आवत जात महँ ललना नयन लखात । मानिनी नायिका के नेत्रों में मनाने में असमर्थ आशान्वित नायक के आने- जाने से जो भाव छाये हैं उनसे उत्सुकता, इषं, असूया संचारी को व्यञ्जना है।