पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/२०९

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रख-निष्पत्ति में अनुमानवाद १२१ उनतीसवीं छाया रस-निष्पत्ति में अनुमानवाद शंकुक प्रभृति कुछ विद्वानों को आरोपवाद में त्रुटि दीख पड़ी। उनकी अरुचि का कारण यह है कि जिसमें रति आदि स्थायी भाव होंगे उसीमें रस होंगे और उनीको उसका अनुभव होगा, सामाजिकों को किसी प्रकार होना संभव नहीं। क्योंकि व्याप्तिज्ञान ऐसा ही है। रति के मुख्य विभाव दुप्यन्त आदि सामाजिकों से एकदम भिन्न हैं। वे ही नहीं, उनके अनुकर्ता नट भी भिन्न ही व्यक्ति हैं । फिर उनमें रति किसी प्रकार नहीं हो सकती! यदि यह कहें कि दुष्यन्त-शकुन्तला का ज्ञान ही सामाजिकों को रसास्वादन का कारण होता है, तो भी ठीक नहीं। क्योंकि यदि ऐसा होता तो उनके नाम लेने से भी रस-बोध हो जाता और सुख का नाम सुखी होने के लिए पर्याप्त था; पर कभी ऐसा होता हुआ नहीं देखा जाता । अतः न्याय्य कारण की कल्पना होना ही उचित है । शंकुक प्रभृति का अनुमानवाद शकुक का मत न्यायशास्त्रानुभोदित है। इनके मत से यहां संयोग का अर्थ अनुमाप्य-अनुमापक सम्बन्ध है और निष्पत्ति का अर्थ अनुमिति वा अनुमान है ! सामाजिक अभिनेताओं में दुष्यन्त आदि को अभिन्नता का अनुभव करते हुए नाटक के पात्रों में विभाव आदि के द्वारा दुष्यन्त आदि का अनुमान कर लेते हैं न कि आरोप । सामाजिकों को यही अनुमिति-ज्ञान रसबोध का कारण होता है । पहले मत में तीन सम्बन्ध और तीन अथं माने गये हैं; किन्तु यहाँ एक अनुमाप्य–अनुमापक सम्बन्ध ही माना गया है। इसका अभिप्राय यह है कि विभाव आदि तीनों रस के अनुमापक हैं और रस उसका अनुनेय है-अनुमिति के योग्य है । उक्त अनुमितिज्ञान हो समाजिकों के रसास्वाद का कारण होता है। यह अनुमिति ज्ञान प्रसिद्ध चारों ज्ञानों-सम्यक् ज्ञान, मिथ्या ज्ञान, संशय ज्ञान और सादृश्य ज्ञान से विलक्षण है और चित्रतुरग-न्याय से होता है । अर्थात् चित्र का घोड़ा, यथार्थतः घोड़ा नहीं होता; फिर भी वह घोड़ा मान लिया जाता है। नट यथार्थतः दुष्यन्त न होते हुए भी दुष्यन्त समझ लिया जाता है। शिक्षा और अभ्यास के कारण अभिनेता अपने अभिनय में ऐसा तन्मय हो जाता है कि उसे ऐसा भान ही नहीं होता कि मैं किसी का अनुकरण कर रहा हूँ। वह अपने मन से दुष्यन्त ही बन जाता है और सारी अवस्थात्रो को अपने में अनुभव करने लगता है। फिर वह अपने कार्य-कौशल से ऐसा प्रकट करता है कि कृत्रिम होने पर भी अनुभाव आदि सत्य-से प्रतीत होने लगते हैं और उन्हींके द्वारा सामाजिको को