पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/३६३

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प्रबन्ध वा निबन्ध २७९ कहानियां बड़ी-बड़ी लिखी जा रही हैं पर वे होनी चाहिये छोटी-छोटी। तभी वे अपने उद्देश्य में सफल हो सकती हैं। अब तो एक-एक पारा को भी कहानियां लिखी जाने लगी हैं। वे अपने उद्देश्य की सिद्धि में समर्थ होने से सफल समझी जाती हैं। आठवीं छाया प्रबन्ध वा निबन्ध किसी विषय-विशेष पर सविस्तर विवेचनात्मक लिखे गये लेख का नाम प्रबन्ध वा निबन्ध है। ___ प्रबन्ध में विवेचन सयुक्तिक, सुव्यवस्थित और प्रभावपूर्ण हो। विषय का प्रतिपादन समीचीन, सबल और ज्ञानानुभाव का भाण्डार हो, जिससे लेखक के उद्देश्य की सिद्धि सहज हो जाय । भाषा विषयोक्ति हो-प्रभवोत्पादक, भावोद्- बोधक, स्पष्ट और सुन्दर। निबन्ध ही एक ऐसा साहित्य है, जिससे यशःशेष विवेकी विद्वानों के विचारों से हम परिचित होते आ रहे हैं। निबन्ध-साहित्य का यह असाधारण उद्देश्य है । विशेष के लिए मेरे 'रचना-विचार' और 'हिन्दी-रचना कौमुदी' को देखना चाहिये। विचारों और भावों का जिनसे सम्बन्ध हो, वे सभी बातें निवन्ध के विषय हो सकते हैं, जिनसे देश, समाज, सभ्यता, संस्कृति और साहित्य को श्रीवृद्धि हो तथा मानव, मानवता और मानवी ज्ञान का अभ्युदय हो । जो लेखक बहुज्ञ, बहुश्रत और बहदी होता है वही ऐसे निबन्ध लिख सकता है, जिससे शारीरिक मानसिक नैतिक, चारित्रिक, धामिक, सामाजिक और राष्ट्रीय उत्थान होना निश्चित है। मुख्यतः निबन्ध के तौन भेद किये गये हैं-१ कथात्मक ( narrative ), २ वर्णनात्मक (descriptive) और ३ भावात्मक या विचारात्मक (refle- ctive )। रागात्मकता से ये काव्य की श्रेणी में आते हैं। अब तो इसके अनेक प्रकार हो गये है। ___कथानक में किसी विषय का वर्णन कथा-रूप में प्रतिपादन किया जाता है। इसमें मुख्यता कथा-विन्यास और परिस्थिति की होती है। घटनाओं को रोचक बनाने की चेष्टा रहती है और यत्र-तत्र विचार का भी पुट रहता है। यदि केवल सोधी-सी कोई कथा लिख दी जाय तो उसे निबन्ध कहना संगत न होगा। कथात्मक की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिये ।