पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/३७९

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२६५ नाटक के तत्त्व वस्तु नायक रस (शृङ्गार आदि) स्वभाव व्यवहार दिव्य दिव्य दिव्यादिव्य उदात्त ललित उद्धत शान्त अनुकूल दक्षिण धृष्ट शठ स्वरूप आधार आधार विभाग | | | । श्रारंभ यत्न प्रत्याशा नियताप्ति फलागम कथोपकथन विन्यास आधिकारिक प्रासंगिक प्रख्यात उत्पाद्य मिश्र सवश्राव्य नियतश्राव्य । अश्राव्य दृश्य सुच्य विष्कभक प्रवेशक काव्यदर्पण चूलिका अंकमुख अंकावतार