पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/२९७

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पन दिया और उस से यह आशय प्रगट किया कि सुख अभिप्राय मेरा यह है कि जिस प्रकार से पीटर के थराइन, अलेक जेण्डर प्रथम और निकोलस प्रथम के समय से राज्य की प्रभा और वैभव बढ़ती आई है वैस ही बढ़ा कर । जेनरल रूडीगर को वासं नामक स्थान से बुलाकर राजकीयगार्ड की कमान दी और अपनी शान, शौकत के साफिक सेना भरती की, वा- णिज्च की उन्नति से भी बड़ी चेष्टा की । राजा में बहुत से गुलाम जी सरदार लोगों के पास थे उन में से २३०००००० गुलामों को दासत्व भाव से मुक्तता कराया। यही नहीं बरन उन को पेट भरने का उद्योग भी बतला दिया । निःसंदेह यह कास ज़ार का जो सन् १८६१ में हुआ था अतान्त प्रशंसा के योग्य है। इन्हों ने सरकारी कालेज स्थापित किए। देश २ में सभा नियत कराई । फोन अरी सन १८६८ में पौलेण्ड के लौंडो गुलामों को भी साधीन किया। इस के करने का अभिप्राय यह था कि पौलेण्ड के सरदारों का ऐश्वर्य न्य न हो जाय, क्योंकि पूल में उस भूमि के खामी वही लोग थे । जार की विद्याविभाग की ओर दृष्टि इतनी अधिक बढ़ी थी कि उन्हों ने यूरप के का- लिजों के ससान अपनी राजकीय पाठशाला में बड़े २ पद स्थापित किए थे और यह प्रबन्ध बड़ा हो उत्तम था कि प्रत्येक सवे की ओर से मेस्बर भरती होते थे, इन की सभा प्रथम सन १८६५ में हुई थी, जिस से बहुत कुछ उप- कार को पलटे अपकार की संभावना भी हुई । ज़ार ने अपनी प्रजा को युद्ध- विद्या में बहुत निपुण किया और राज्य में पञ्चायतो कोर्टन्याय करने को स्थापित कर दिए। सन १८६६ में इन्हों ने दुरखारे को अमीर से लड़ाई प्रारंभ की, जो डेढ़ वर्ष तक होती रही, इस में रूसी लोग विजयी हुए और सम- रकन्द पर अपना अधिकार जसालिया। सन १८६८ में ज़ार ने अपने अमे- रिकाप्रदेश में यूनाइटेड स्टस को गवर्नमेन्ट अमेरिका के हाथ १४००००००० रुपये को बेच दिया। जब एक ञ्च और जर्सन में लड़ाई होने लगी और जर्सन में लोगों ने पैरिस नामक स्थान को घेर लिया तब जार ने स म १८५६ के संधि पत्र को ( जिस से बल्ली की सीमा बांधी गई थी ) मानना बहोकार किया, इस से बड़े बड़े राष्ट्रों को बड़ी कठिनता देख पड़ने लगी । सन् १८७१ में इस निमित्त एका कान्सफरेंस हुआ जिस में जार को इच्छानुरूप संधिपत्र स्थापित हुआ । सन् १८७२ में जब जार वर्लिन नगर की गए तो जर्मन और ग्रालिया को साम्नाट से भेंट किया, ये दोनों सहाराज सेन्टपीटर्सबर्ग में थे