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कोड स्वराज

जान सकते हैं। प्रत्येक के लिए मैंने संकलित कार्य का प्रांसगिक भाग लिया है और उसे एचटीएमएल में डाला है जिसे आप उन्हें हिंदी या गुजराती भाषा में सुन सकते हैं। आप इनके अंग्रेजी अनुवाद की पढ़ सकते हैं। फिर आप संकलित कार्य पर क्लिक कर सकते हैं और उस दिन, उनके द्वारा लिखे पत्र को देख सकते हैं। उन्होंने अगले दिन क्या किया? उन्होंने उसके पिछले दिन क्या किया? वगैरह-वगैरह!

हमारे पास जवाहर लाल नेहरू के चयनित कार्यों का संग्रह है। उनमें से अधिकांश सरकार के सर्वर पर थे लेकिन उनमें से कुछ खंड़ गायब थे। मैंने वे खंड प्राप्त किए ताकि हमारे पास उनका संपूर्ण संस्करण हो। भीमराव अंबेडकर का कार्य, महाराष्ट्र राज्य के सर्वर पर था लेकिन उनमें से अंतिम छह खंड गायब थे।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिखित में भारत की खोज” नामक पुस्तक भारत पर आधारित बड़ा ही सुंदर कार्य है। वास्तव में इसे काफी शानदार तरीके से दूरदर्शन ने बनाया था। यह 1980 का दशक था जब दूरदर्शन एक सरकारी एजेंसी हुआ। करती थी। इसे हमने यूं ही ऑनलाइन उपलब्ध नहीं कराया बल्कि हमने इसके पूरे कार्यक्रम पर विभिन्न भाषाओं में सब्टाइटल्स डाले। सभी एपिसोड़ों के लिये हम ऐसा नहीं कर पाए, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त पैसा नहीं था। लेकिन पांच एपिसोड के लिए सब्ट्राइटल्स तैयार किए हैं, अब आप हिंदी भाषा में सब्टाइटल्स देख सकते हैं, जो उनके पास नहीं थे। उनके पास अंग्रेजी थी, हमने उर्दू, तेलगू और अन्य भाषाओं में सब्टाइटल्स भी डाले। हमने उसे बेहतर और अधिक उपयोगी बनाने की कोशिश की है।

[अनुज श्रीनिवास] जरूर कार्ल। कुछ लोग सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़े हिमायती कार्य जैसा आप करते हैं, उसको कॉपीराइट के बिल्कुल खिलाफ मानते हैं। वे मानते हैं कि कभी-कभी आप कॉपीराइट के लक्षमण रेखा को लांघ कर, शायद चोरी तो नहीं कर रहे हैं।

[कार्ल मालामुद] मैं कोई चोर नहीं हूँ, कोई लूटेरा नहीं हूं।

[अनुज श्रीनिवास] आप कैसे तय करते हैं कि आपको कब किस परियोजना में शामिल होना है? क्या इन सब की जांच आप सार्वजनिक हित को ध्यान में रख कर करते हैं?

[कार्ल मालामुद] हाँ, ये सब फैसला कुछ हद तक जनहित पर आधारित होता है। मैं सभी तरह की चीजों को देखता हूँ। सबसे पहले, मैं इसके बारे में बात करता हूं। मैं एक पेशेवर लेखक के रूप में जीवन यापन किया हूँ। ठीक ? मैं एक संगीतज्ञ था। मैं कॉपीराइट में । विश्वास रखता हूं। मुझे लगता है कि यह शानदार बात है लेकिन कॉपीराइट के मूल उद्देश्य को याद रखें, वो है - उपयोगी कलाओं को प्रसारित करना है। इसका मूल उद्देश्य ज्ञानात्मक सामाग्री को सुचारू रूप से उपलब्ध कराना है, और हाँ कॉपीराइट की एक सीमा भी है, और इसके अपवाद भी है। जैसे कि यदि आपके पास निजी संपत्ति है तो आपको अपने सामने एक सार्वजनिक पार्क की भी आवश्यकता होती है। आप इन दोनों चीजों के बिना शहर की कल्पना नहीं कर सकते हैं। आप वाणिज्य की चाहत रखते हैं लेकिन आप नागरिक जीवन भी चाहते हैं।

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