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'इस छोटे से यूएसबी में 19,000 भारतीय मानक हैं।

मैंने इसे देखा और स्वयं से यह प्रश्न पूछा कि क्या यह सरकारी डाटा है? क्या इस पर कॉपीराइट का दावा वैध है? क्या यह जन हित में है? क्या इस सचना की अकाट्य आवश्यकता है? यदि यह सरकारी सूचना है, जो सार्वजनिक सुरक्षा या निगम के संचालन या सरकार के कार्यों के बारे में नागरिकों को सूचित करने के आधारिक तरीकों पर लागू होता है तो यह निश्चित ही सार्वजनिक जरुरत की है, और स्पष्टतः सर्वजन के लिये है।

मैंने इसे बहुत सावधानीपूर्वक अध्ययन करता हूँ। आप जानते हैं कि बहुत सारे लोग इस तरह का कार्य करते हैं और वे सोचते हैं कि “ओहो, आप एक हैकर हैं।” ठीक है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि मेरे पास तकनीकी कौशल हैं। लेकिन उतना अच्छा नहीं जितना उन बच्चों के पास है, लेकिन मैंने ऐसा काम काफी समय से कर रहा हूँ। मैं बड़े डाटाबेसों और शाब्दिक सामाग्री के बारे में काफी निपुण हूँ। मैं किसी चीज को इंटरनेट पर डालने से पहले उस पर अच्छी तरह से सचिता हूँ। मैं उन्हें पढ़ता हूँ। मैं उन पर बहुत सारा अनुसंधान करता हू।

आप भारतीय मानकों को जानते हैं, मैंने उसे सीधे नहीं उठाया। मैंने उन पर बहुत समय लगाया है। मैंने संवैधानिक कानून के तीनों खंड लिये और उन्हें काफी ध्यान से पढ़ा। मैं वकील नहीं हूँ लेकिन मैंने कानून पढ़ा है। मैं सैम पित्रोदा से मिला। मैंने बहुत सारे लोगों से बात की। इसके बाद मैं इस नतीजे पर पहुँचा कि “ मेरे समझ से यह सार्वजनिक सूचना है।” आप जानते हैं कि यदि मैं गलत हूँ, तो मुझे इसके परिणाम को भुगतने होंगे। यह इस तरह का कार्य करने का दूसरा पहलु हैं। यदि आप इस तरह की गलती करते हैं तो आपको जुर्माने का भुगतान भी करना पड़ सकता है और आपको उसके लिए तैयार रहना चाहिए।

[अनुज श्रीनिवास] ये सच है। यहाँ मैं बात को मोड़ते हुए सरकार के बारे में बात करना चाहता हूं। केवल भारत सरकार की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया अन्य सरकारों द्वारा, आपके द्वारा किए जाने वाले काम के प्रति प्रतिक्रिया की बात। वर्तमान में भारत में, मोदी सरकार, पिछली सरकार; दोनों ने ही सार्वजनिक मत बनाया है कि हमें पारदर्शिता के लिए, और सार्वजनिक सूचना को लोगो तक सहज पहुंचाने के लिए, प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहते हैं। आप ई-गवर्नेस और उससे संबंधित सभी बातों को भी जानते हैं। जब कोई व्यक्ति आगे बढ़कर ऐसा काम करता है तो उनकी पहली प्रतिक्रिया शत्रुता की होती है।

हमने भारत में आपके जैसे बहुत सारे लोगों को कानूनी नोटिस प्राप्त करते हुए देखा है। आप खुद कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जैसा आपने बताया है। क्या इन दो बातों के बीच एक, जिस सिद्धांत पर सरकार खड़ी हैं और दुसरे, जिसके लिये सरकार क्या कर रही है, इसमें विरोधाभास है? और इस में आप अपनी भूमिका को कैसे देखते हैं?

[कार्ल मालामुद] नौकरशाही वास्तव में इस तरह की बात के खिलाफ हमेशा खड़े हो जाएंगे। मैं वहां गया और सैम पित्रोदा से मिला। उन्होंने कहा, “ बेशक ये करो”। लेकिन भारतीय मानक ब्यूरो की तरफ से जवाब रहा “नहीं, नहीं, नहीं, हमलोग हमेशा से ही ऐसे करते रहे हैं। एवं दूसरे लोग भी ऐसे ही करते हैं। यदि आप इनके पास एक पारदर्शिता के वकील के रूप में, या विशेष कर एक सरकारी मंत्री के रूप में जाते हैं तो आपको 15 बी.आई.एस कर्मचारियों के साथ आठ घंटे की लंबी बैठक करनी होगी जहां पर यह बताया

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