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इस छोटे से यूएसबी में 19,000 भारतीय मानक हैं।


[कार्ल मालामुद] मेरा मानना है कि हमारी दुनिया में कई समस्याएं हैं, जो दुःसाध्य दिखती हैं, जो सुलझती हुई नहीं दिखती हैं। मसलन ग्लोबल वॉर्मिंग। बहुत सारे लोग यह नहीं मानते हैं कि यह सच है, या वे कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, या वे यह मानते हैं कि इसमें उनका स्वहित है, “मैं इसके लिये कुछ नहीं करुंगा क्यों कि मैं कोयले के खान में काम करता हूँ। मेरे लिये प्रदूषण अच्छा है क्यों कि इससे मुझे ज्यादा आमदनी होती है।” अन्य लोगों के प्रति असहिष्णुता। गरीबी, मौलिक अधिकार। शिक्षा से गरीबी दूर हो सकती है, अकाल कम हो सकता है, बीमारी भी दूर हो सकती है। सवाल यह है कि हम इन समस्याओं के बारे में क्या कर सकते हैं? मुझे दृढ़ विश्वास है कि ज्ञान की पहुंच ही एकमात्र तरीका है जिससे हम आगे बढ़ सकते हैं।


यदि सभी नागरिक जलवायु परिवर्तन की समस्या को समझना शुरू कर दें तो किसी बिंदु पर वे इसके लिए कोई कदम उठाने की मांग करेंगे क्योंकि वास्तव में यह वैश्विक संकट है। हम सभी को इसके लिए कदम उठाना चाहिए। अधिकांश लोग यह समझते हैं कि मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि आज कौन सी सरकार है, वे सभी नेता हैं। यदि प्रत्येक व्यक्ति यह कहेगा कि, “लोबल वार्मिंग! ओ भगवान, हमें कुछ करना होगा। इन ववंडरों को देखें, इन दावानलों को देखें, इन सूखों को देखें।” तब ही परिवर्तन होगा।


शिक्षा अब महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है। रोग, आप यह कभी भी नहीं जानते कि रोगों की । समस्याओं के समाधान कहां से आते हैं। जब मैंने प्रचुर मात्रा में जानकारियों को इंटरनेट पर डाला, तो इंटरनेट से मैंने यह सीखा कि हमेशा कुछ बेनाम व्यक्ति आते हैं और जो इस समाज को और बेहतर बना देते है। जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा। मुझे यकीन है कि प्रत्येक पीढ़ी एक नया संकल्प/चुनौती को पूरा करती है। किसी जमाने में वो एरनॉटिक्स से संबंधित हो सकती हैं, तो कभी वो अनैच्छिक दासता के उन्मूलन की बात हो सकती है। कभी वो सभी लोगों के लिए राजनैतिक मताधिकार की बात हो सकती हे, या तकनीकी की बात हो सकती है, सामाजिक परिवर्तन की बात हो सकती है। मुझे लगता है कि आज हमें जिससे ज्यादा उम्मीद है - वह है इंटरनेट, जो यहां मौजूद है, यह काम करता है। इसके माध्यम से जो हम कर सकते हैं वह है, सभी ज्ञान तक सार्वभौमिक पहुंच को सुनिश्चित करना। और मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूँ कि यह काम मानव केलिए दुनिया को बेहतर बनायेगा।


[अनुज श्रीनिवास] ठीक है, बहुत अच्छे। धन्यवाद, कार्ल अपना समय देने के लिए आपका धन्यवाद।


[कार्ल मालामुद] आपका बहुत बहुत धन्यवाद।


[अनुज श्रीनिवास] हम आपके मामलों और उन मुद्दों का अनुसरण करेंगे, जिसको लेकर आप द वायर पर बारीकी से काम कर रहे हैं। धन्यवाद।


© द वायर, 2017, अनुमति के साथ उपयोग किया गया


https://thewire.in/191059/interview-fittie-usb-holds-19000-indian-standards-not-made-public/

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