पृष्ठ:कोड स्वराज.pdf/१३०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

कोड स्वराज

जाने-माने ट्रेडमार्क प्रोफेसरों के समूह ने भी एक ब्रीफ दायर की। कांग्रेसवुमेन लोफग्रेन और कांग्रेसमेन इसा ने हमारे लिए ब्रीफ दर्ज की थी कि लोकतंत्र में कानून सहज उपलब्ध होना चाहिए। दोनों सांसदों ने सदन की न्यायिक समिति में कई सालों की सेवा (Self-Employed Women's Association of India) की है। सांसद इसा, कोट्र्स, इंटलेक्चुयल प्रोपर्टी और इंटरनेट के उपसमिति के अध्यक्ष हैं, और यह मुद्दा उनके कानूनी अधिकार के दायरे में आता है। यह काफी दमदार था।

नवंबर में, अभियोक्ताओं (प्लेन्टिफ्स) ने अपने ब्रीफ दायर किया। उन्होंने अपने लिये एक नए वकील लाये, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व सॉलिसिटर जनरल थे। दिसंबर के प्रांरभ में उनके अन्य मित्र भी आ गए थे। अधिष्ठान (एस्टैब्लिशमेंन्ट) इस बात से पूरी तरह असंतुष्ट था। अमेरिकन इंश्योरेंस एसोसिएशन और इंटरनेशनल ट्रेडमार्क एसोसिएशन दोनों ने ब्रीफ दायर किए। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के साथ अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन और अमेरिकन हॉस्पिटल एसोसिएशन भी शामिल थे।

आखिर में 10 अन्य मानक संगठनों के साथ, अमेरिकी राष्ट्रीय मानक संस्थान (American National Standards Institute) ने एमिकस ब्रीफ दायर किया, जिसमें जिनेवा में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन भी शामिल था। उनका तर्क सरल था: हमें पैसे चाहिए। हमें पैसे की ज़रूरत है। अगर हमारे पास कानून बेचने का विशेष अधिकार नहीं है, तो हम उच्च गुणवत्ता वाले सुरक्षा मानकों का उत्पादन नहीं कर पाएंगे।

मैं इस तर्क से काफी असहमत हूँ। मानकों के संगठन ढेर सारे मानकों का निर्माण करते हैं, पर केवल कुछ ही कानून बन पाते हैं। जब सभी 50 राज्यों में नैशनल इलेक्ट्रिकल कोड कानून बनते हैं, तो वे प्रेस रिलीज़ जारी करते हैं और इसके बारे में अपनी वार्षिक रिपोर्ट में शान से कहते हैं। मानकों के संगठन इन दस्तावेजों को शीघ्र कानून बनाना चाहते हैं। ऐसा करने से, उन्हें अमेरिकी लोगों की स्वीकृति मिलती है और वे अपनी सेवाओं की बिक्री करने में इससे बहुत लाभ उठाते हैं।

भारत में मानक दस्तावेज़ों की बिक्री में ज्यादा पैसा नहीं है। असली पैसा उत्पाद के प्रमाणन (सर्टिफिकेशन) में है। मसलन बल्ब और वाशिंग मशीन जैसे उपभोक्ता उत्पादों को प्रमाणित करने वाली संस्थान अंडरराइटर्स लेबोरेटरीज, प्रति वर्ष 2 बिलियन डॉलर से अधिक प्रमाणीकरण रिवेन्यू से कमाता है। इसी तरह भारत में, ब्यूरो के रिवेन्यू का ज्यादा बड़ा भाग उनके अनिवार्य प्रमाणीकरण कार्यक्रम से आता है। प्रमाणीकरण के अतिरिक्त हैंडबुक, प्रशिक्षण, सदस्यता शुल्क जैसे और कई आय के आकर्षक स्रोत हैं।

जैसा कि अदालतों ने पहले बताया है, ये मानक सिर्फ कानून बनने के लिये नहीं बनते हैं। वे कानून बनते हैं क्योंकि उस उद्योग के सदस्यों ने कानून लिखने में मदद की है। कुछ दस्तावेजों को बेच कर ज्यादा पैसा नहीं कमाया जा सकता है। अधिक मूल्य कमाने का जरिया वे कंपनियाँ हैं जो कहती हैं कि 'हम कानून का अनुपालन करते हैं।

अधिक धन कमाने का एक और उदाहरण है जो यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मानकों के संगठनों को वास्तव में पैसे की आवश्यकता नहीं है, वे पूर्णरूप से लालची हो गए हैं। जैसा

122