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कोड स्वराज पर नोट

पीडीएफ फाइल पर एक यूआरएल था। पहले इंडेक्स फ़ाइल को डाउनलोड करना, फिर उन्हें मेटाडेटा और फाइल अड्रेसेस में पार्स करने से, सभी पीडीएफ फाइलों को लाना काफी सहज था। लेकिन, अधिकांश राज्यों के केस में यह सीधा काम नहीं था।

राज्यों के अधिकांश राजपत्र माइक्रोसॉफ्ट सर्वर सॉफ्टवेयर पर आधारित हैं जो पीडीएफ फाइलों के यूआरएल (नेटवर्क एड्रेस) को नहीं दिखाते हैं। समस्या यह थी कि हर राज्य में उनके प्रकाशन की प्रत्येक प्रति को पाने का एक अलग अपारदर्शी तरीका था। भारत में कई दर्जन आधिकारिक राजपत्र हैं, प्रत्येक राज्य के लिए, और दिल्ली जैसे प्रमुख नगर पालिकाओं के लिए भी। प्रत्येक को अलग ढंग से प्रोग्राम किया जाता है।

हमने कलेक्शन में कुल 1,63,977 पीडीएफ फाइलें एकत्रित की थी, लेकिन यह स्पष्ट था। कि यह सही काम करने के लिए, हमें वर्ष 2018 में गंभीर काम करना होगा। सभी राजपत्रों के लिए न केवल फाइलों को लाना था बल्कि संग्रह को वास्तव में उपयोगी बनाने के लिए उन्हें अपडेट करना था। साथ ही उन राजपत्रों को उस रूप में व्यवस्थित भी करना था जिस रूप में हम उन्हें दिखाना चाहते थे। स्कैन किए गई राजपत्रों पर उच्च गुणवत्ता वाले । ऑप्टिकल कैरेक्टर जैसे मुद्दों से गुजरना पड़ा। पब्लिक लाइब्रेरी आफ इंडिया बनाते हुए हमें इन मुद्दों से गुजरना पड़ा। केंद्र, राज्य सरकार और शहरों से राजपत्रों को डाउनलोड करते हुए हमने पाया कि उनमें से बहुत तो काफी अव्यवस्थित थे और कुछ गायब थे। अतः उनके गुणवत्ता का आश्वासन होना काफी जरूरी था।

किसी भी देश के लिए सरकार के आधिकारिक पत्रिकाओं का उद्देश्य नागरिकों को उनकी सरकार के कार्य के बारे में सूचित करना है। यह संयुक्त राज्य के संघीय रजिस्टर के बनने का कारण था, जो संघीय सरकार की आधिकारिक पत्रिका है। सुप्रीम कोर्ट में एक प्रसिद्ध कोर्ट का मामला चला था जिसमें सरकार ने ग्रेट डिप्रेशन के दौरान एक समूह पर नियमों के साथ गैर-अनुपालन के लिए मुकदमा दायर किया था, लेकिन कोई भी वास्तव में उन नियमों को नहीं ढूंढ पाया क्योंकि वे कभी प्रकाशित ही नहीं हुए थे।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बैंडिस के आग्रह पर हार्वर्ड लॉ प्रोफेसर ने एक “गवर्नमेंट इन इग्नोरेंस ऑफ़ द लॉ - ए प्ली फॉर बेटर पब्लिशिंग ऑफ एक्ज़ीक्यूटिव लॉजिस्लेशन” नामक एक प्रमुख पर्चा लिखा था। इससे एक औपचारिक प्रक्रिया जारी हुई, जिसमें सभी सरकारी विनियमन के पहले प्रारंभिक रूप में प्रकाशित किए जाएंगे, जिसे प्रस्तावित नियम बनाने की सूचना” के रूप में जाना जाता है ताकि नागरिकों को पता हो कि क्या हो रहा है। फिर अंतिम नियम भी प्रकाशित किए जाएंगे। संपूर्ण विनियमन तब एक समेकित दस्तावेज, यानि कि संघीय विनियमन कोड में शामिल किया जाएगा, जो सभी संशोधनों, विलोपन और सहायक ऐतिहासिक नोट्स और पोइंटर्स के साथ अप-टू-डेट किया जाएगा।

संघीय स्तर पर उन तकनीकी मानकों को जो कानून का दर्जा पा चुके हैं उन्हें उपलब्ध कराने की मेरी लड़ाई में, मैंने संघीय नियमों के कोड में बहुत बड़ी कमी पायी। मैंने अनुमान लगाया है कि 30 प्रतिशत से अधिक कोड, बहुत पैसे खर्च किए बिना और निजी पाटी से। पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना, नागरिकों के लिए उपलब्ध नहीं हैं। फिर ऐसे कई मॉडल कोड और मानक हैं, जो स्वयम् कानून का दर्जा नहीं पाये हैं लेकिन जो अन्य कानूनी दर्जा पाये

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