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कोड स्वराज

कोर्ट आफ अपील्स के, सभी पुराने मामलों को खरीदा और उन्हें नेट पर डाल दिया। इन मामलों को नेट पर डालने में हमारे 6,00,000 डॉलर खर्च हुए। लेकिन पहली बार लोगों को यह सुविधा मिली कि वे बिना किसी खर्चे के, नेट पर उपलब्ध इन विचारों तक पहुँच सकते थे। यह औचित्यपूर्ण था।

संयुक्त राज्य अमेरिका के कोर्ट आफ अपील्स के बाद, मैंने अमेरिका के जिला न्यायालयों पर ध्यान दिया जो “पेसर” (पब्लिक एक्सेस टू कोर्ट इलेक्ट्रोनिक रिकाड्स) नामक एक सिस्टम चलाते थे। जिसकी सहायता से विवरण, राय, डॉकेट्स और अन्य चीजों को पाया जा सकता था, लेकिन इसके लिए प्रति पेज 8 सेन्ट देने होते थे (आजकल प्रति पेज के लिए 10 सेन्ट्स भी देने पड़ सकते हैं)। यह सच में मुझे बहुत बेतुका लगा, इसलिए मैंने, ‘पेसर के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (फ्रिक्युन्टलि आस्क्ड क्योश्चेन्स)' के व्यापक सेट के उपर, पेसर डोक्स की पुर्नरावर्तन (रीसाइकिल) करने के लिए एक सिस्टम बनाया। यह सिस्टम कई तकनीकी और आर्थिक खामियों से गुजरा।

यह वर्ष 2008 की बात है, एक बार सहसा मेरा फोन बजा। लाइन पर एमआईटी (MIT) से स्टीव शुल्ट्ज (Steve Schultz) नामक छात्र था और उसका मित्र आरोन स्वाट्र्ज (Aaron Swartz) भी था। मैं, आरोन को उस समय से जानता हूं जब वह 12 साल का था। वह लैरी लेस्सिा का शिष्य था और जो इंडस्ट्री गेट टुगेदर्स जैसे कार्यक्रम में अक्सर आता था। आरोन ने मेरे साथ आई.आर.एस (IRS) जैसे कई मामलों पर काम किया था। उसने, मेरी पूर्व पत्नी रेबेका मालामूड के साथ भी काम किया था जब वह इंटरनेट अर्काइव के लिए ओपने लाइब्ररी सिस्टम का संचालन करती थी।

आरोन को मेरा एफ.ए.क्यू (FAQ) काफी पसंद आया और उसने बड़े पैमाने पर पुर्नरावर्तन के लिए, लाइब्रेरी का उपयोग करने का निर्णय किया। स्टीव ने एक साधारण पेसर क्रॉलर (crawler) लिखा था और आरोन ने उसका प्रयोग करना चाहा। अदालतों ने, देश भर के खास 20 पुस्तकालयों में, सिर्फ एक प्रायोगिक सेवा (Self-Employed Women's Association of India) स्थापित की थी, यह देखने के लिए कि क्या “साधारण” लोग पेसर का इस्तेमाल करना चाहते हैं। यह एक तरह से कांग्रेस के अधिकारियों के अत्यधिक दबाब के सामने, अदालत द्वारा थोड़ा झुकने जैसा था। कांग्रेस यह जानना चाहती थी कि क्यों उन्हें, पेसर के बारे में इतने पत्र प्राप्त हो रहे हैं। अदालतों ने सोचा कि 2-वर्षीय पायलट प्रयोग, एक विलम्ब करने का आसान तरीका हो सकता है।

आरोन ने स्टीव का कोड़ लिया और एक बड़ा क्रॉलर लिख डाला। उन्होंने देखा कि लाइब्रेरी सिस्टम के अन्दर जाने (एक्सेस) के अधिकार की जाँच करने की प्रक्रिया, ‘कुकि’ पर आधारित है। जिसका अर्थ यह था कि जब, सप्ताह के शुरूआत में, एक बार लाइब्रेरियन सिस्टम पर लॉग-इन करता है तब उसके बाद, एक तिकड़म से, कोई भी एक सप्ताह तक बैठ कर, मुफ्त में पेसर को उपयोग कर सकता था। मैं इसे ठीक से समझ नहीं पाया हूँ कि आरोन ने यहां क्या किया था। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि उन्होंने, सप्ताह में एक बार, सेक्रामेंटो लाइब्रेरी में किसी जिगरी दोस्त को भेजा और उसने वहाँ की कुकि (cookie) को कॉपी किया और उस कुकि को, आरोन को ईमेल से भेज दिया। यह कुकि, जो एक सप्ताह

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