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कोड स्वराज पर नोट

के लिये मान्य है, जिसकी सहायता से वह इस सिस्टम को सप्ताह भर के लिये, क्राल करने के लिए सक्षम हो गये।

कुछ महीने के बाद, मुझे आरोन से एक नोट प्राप्त हुआ, जिसमें उसने कहा कि उसके पास कुछ डाटा है, और क्या वह मेरे सर्वर पर लॉग इन कर सकता है। मैं आमतौर पर ऐसा अधिकार किसी को नहीं देता, वास्तव में मैंने अपने सिस्टम पर किसी को भी कोई गेस्ट अकाउंट नहीं दिया था। लेकिन आरोन कुछ खास था और इसलिए मैंने उसे एक अकाउंट दे दिया। मैंने इसके बारे में ज्यादा सोच-विचार भी नहीं किया। फिर संभवतः एक महीने बाद हमने देखा कि उसने उस पर करीब 900 गीगाबाइट डेटा अपलोड किया है। यह बहुत ज्यादा था। लेकिन वह एक होशियार लड़का था, इसलिए मुझे उस पर आश्चर्य नहीं हुआ। मैंने इसको अपने मन में रख लिया पर इस पर दोबारा नहीं सोचा क्योंकि हमारे पास पर्याप्त डिस्क स्पेस उपलब्ध था।

फिर फोन बजा। आरोन लाइन पर था। सरकार ने एकाएक प्रयोगात्मक सिस्टम को बंद कर दिया है और नोटिस जारी किया है कि उनके सिस्टम पर हमला हो गया है, और उन्होंने एफ.बी.आई को कॉल किया। उन्होंने 20-लाइब्रेरी के संपूर्ण प्रयोग को रोक दिया है। वे बात कर रह थे कि उनके सिस्टम को हैक कर दिया गया है, जो एक गंभीर मामला था।

...

फिर दो घटनाएं घटी। सबसे पहले, मैं वकील के पास गया और आरोन को भी वकील ढूढ़ने को कहा। जो हुआ था हमने उसे गौर से देखा, और अन्ततः मेरी राय थी कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है। हमने किसी भी समझौते या सेवा (Self-Employed Women 's Association of India) की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया है। हां, यह जरूर था कि अदालतों ने किसी व्यक्ति से आशा नहीं की थी कि वह पब्लिक टर्मिनल से 900 गीगाबाइट डेटा प्राप्त कर लेगा। मैंने एफ.बी.आई को कहा कि किसी नौकरशाह को आश्चर्य में डालना कोई अपराध नहीं है। यह पब्लिक डाटा है और हमने इसे पब्लिक को दी गई सुविधा से ही प्राप्त किया है हम निर्दोष हैं।

दूसरी बात यह थी कि अब मैंने गोपनीयता अतिक्रमण (प्राइवेसी वायलेशन्स) के लिए इन डाटा को पैनी नजर से देखना शुरु कर दिया। मुझे इसमें हजारों दस्तावेज ऐसे मिले जो, कोर्ट के नियमों के विरुदघ, व्यक्तिगत सचना प्रकट कर रहे थे, जैसे कि सामाजिक सरक्षा नंबर, छोटे बच्चों के नाम, गोपनीय सूचनाओं को देने वाले के नाम, कानून के अधिकारियों के घर के पते, चिकित्सा संबंधी व्यक्तिगत अवस्था का विवरण आदि, जिसे हरगिज प्रकट नहीं किया जाना चाहिए था।

इस काम को करने में मुझे दो महीने लगे। लेखा परीक्षा (ऑडिट) के परिणाम लिखे गए और एक प्रमाणित (सटिफाइड) पत्र, 32 जिलों के प्रत्येक मुख्य न्यायाधीशों को भेजे गए। उन्होंने शुरु में ऑडिट को नजरअंदाज कर दिया था, लेकिन मैं उन्हें यह बार-बार भेजता रहा, और तीसरी बार जब मैंने उन्हें वे नोटिस भेजे, तो उनपर मैंने लाल स्याही में तीसरा और आखिरी


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