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कोड स्वराज पर नोट

मैं इस पुस्तक का अंत उन चर्यों को लिखकर करना चाहूंगा, जो भविष्य की कार्रवाई के लिए एजेंडा बनेगा। मैं अपने विचारों को क्रम में रखकर ऐसा करूंगा, लेकिन मैं यह आशा करता हूँ कि दूसरे लोग भी हमारे साथ इस संघर्ष में जुड़ेंगे।

कुल दस ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ हम काम कर सकते हैं। उनमें से अधिकांश क्षेत्रों में पहले से ही कार्य जारी है। मैं इस बात को स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हो सकता है कि दूसरे लोगों के पास इससे अलग और बेहतर लिस्ट हो। मैं इन दस विषयों को किसी भी निर्णायक कार्यक्रम की वस्तु के रूप में नहीं रख रहा हूँ। मैं यह विश्वास करता हूँ कि जब महात्मा गांधी ने कहा था कि “बदलाव का साधन बनो” तो इससे उनका तात्पर्य केवल यही नहीं था कि लोग कोई संघर्ष करें, उन्हें साथ-साथ अपने अन्दर भी देखना चाहिए और उन्हें दूसरे लोगों को यह बताने की जरुरत नहीं कि उन्हें क्या करना चाहिये।

1. तकनीकी ज्ञान- निसंदेह यह सबसे पहला है, तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने की लड़ाई, यह कोड सत्याग्रह है। इस बारे में, केवल भारत में ही नहीं पूरे विश्व में प्रश्न उठाए गए हैं। लाखों लोग इंटरनेट पर हमारे द्वारा पोस्ट किए गए मानकों का प्रयोग करते हैं, हमने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में नागरिकों को सूचित किया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि इस सूचना को और विकसित करने की अत्यंत आवश्यकता है।

हम दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय और माननीय यू.एस. कॉर्ट ऑफ अपील के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन हमें इंतजार करने के अलावा भी बहुत कुछ करना चाहिए। हमें उन लोगों के, शिक्षाविज्ञ, इंजीनियर, नगरीय अधिकारियों और आम नागरिकों के दिमाग में इन मुद्दे को उठाना चाहिए, जो इन दस्तावेजों का प्रयोग करते हैं। ऐसा तभी संभव है जब हम सभी अपनी आवाज़ को उठाएंगे और यह मांग करेंगे कि वैसे तकनीकी नियम, जो हमारे समाज का नियंत्रण करते हैं वे सार्वजनिक रूप से सर्वसाधारन को उपलब्ध होने चाहिए।

2. भारतीय सार्वजनिक पुस्तकालय - दूसरा, भारतीय सार्वजनिक पुस्तकालय के साथ मिलकर पुस्तकों सर्वसाधारन को उपलब्ध कराना। काफी काम होना बाकी है और भारत में सभी पुस्तकालयों में उच्च गुणवत्ता में स्कैनिंग करने की क्षमता है। वर्तमान संग्रह के लिए काफी काम करना बाकी हैं, जैसे कि मेटाडेटा को व्यवस्थित करना, ठीक से नहीं हुए स्कैन का पता लगाना और अधिक सामग्रियों को शामिल करना। साथ-साथ इसे आप्टिकल कैरेक्टर रीडर के माध्यम से उसे टेक्स्ट में परिवर्तित करने की सख्त जरुरत है।

डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया - यह भारत सरकार का एक अत्यंत सराहनीय प्रयास है। मेरा मानना है कि पूरे संग्रह को फिर से स्कैन करना चाहिए। किये गये स्कैनिंग निम्न स्तर के हैं, यहाँ पर कई पेजे गायब हैं और कई तिरछे हैं। इन सब कारण से यह संग्रह अभी भी पूर्ण नहीं हैं। इसे आप्टिकल कैरेक्टर रीडर से पढ़ना मुश्किल हो जाता है। भारत में विशाल सार्वजनिक स्कैनिंग केंद्र मौजूद हैं, जिसने सार्वजनिक क्षेत्र की सामग्रियों को उपलब्ध कराया। यह भारत में सभी भाषाओं में शैक्षिक सामग्री को उपलब्ध करने के लिए काफी उपयोगी हो सकता है। वर्तमान में हमारे पास 4,00,000 पुस्तकों का संग्रह है। लेकिन मुझे उम्मीद है कि थोड़ा और प्रयास करके हम लाखों पुस्तकों को स्कैन कर सकते हैं। यह

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