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कोड स्वराज पर नोट

इसके अलावा, बेयरफुट कॉलेज ने सोलर कुकर, जल पुनर्प्रप्ति (रिक्लमेशन) परियोजनाएं, सौर ऊर्जा संचालित जल विलवणीकरण (डीसैलिनेशन), कचरा निपटाने की प्रणाली और अन्य कई योजनाओं को विकसित किया है। उन्होंने एप्पल कम्पनी के साथ एक ऐसे सिस्टम पर भी काम किया है, जिससे यदि बच्चे दिन भर खेतों में काम करते हैं, तो वे रात में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। हाल के पी.एच.डी कर चुके छात्रों ने अपनी पी. एच.डी के उपरान्त के (पोस्ट-डौको एक साल टिलोनिया में गु और उस समय का उपयोग ज्यादा बेहतर प्रौद्योगिकी बनाने के लिए किया, फिर उन्हें भारत और दुनिया के गावों में जा कर लगाने के लिये किया।

ज्ञान जमीनी स्तर से उत्पन्न होता है। कोई व्यक्ति राष्ट्रीय सरकारों पर ही सिर्फ ध्यान केंद्रित कर सकता है, लेकिन ऐसा करने का मतलब होगा कि वह, अनगिनत छोटे पुस्तकालयों, स्कूलों, गांवों में बुजुर्गों के ज्ञान, मंदिरों और आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में रखे जाने वाले परंपरागत ज्ञान और ज्ञान के कई भंडारणों को अनदेखा कर रहा है।

सचना का लोकतांत्रिकरण एक लक्ष्य है, जो अमेरिका और भारत के बीच पर-उर्वरण (क्रौस-फर्टिलाइजेशन) का अवसर प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, दोनों देशों के किसानों को एक जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि सही सॉफ्टवेयर की प्राप्ति, खेती करने की अपनी मशीनों की मरम्मत, और बीजों का पुनर्उपयोग आदि। अमेरिका और भारत दोनों के पास मजबूत ग्रामीण परंपराएं और पूरे देश में फैले इनके छोटे शहरों में विशाल संसाधन मौजूद हैं। अमेरिका-भारत भाई भाई, बहुत शक्तिशाली नारा रहेगा। अमेरिका में रहने वाले 35 लाख भारतीय मूल के नागरिक, इस साझेदारी के निर्माण करने के लिए एक मजबूत आधार बन सकते हैं।

सैम पित्रोदा अक्सर सूचना के लोकतांत्रिकरण के बारे में वक्तव्य देते रहते हैं। यह एक महत्वकांक्षी लक्ष्य है। यह कोई डेटाबेस नहीं है, जिसे मुक्त किया जाना है। सूचना का लोकतांत्रिकरण से ज्ञान के उत्पादन और उसके उपभोग में मौलिक परिवर्तन आयेगा। ज्ञान तक की सार्वभौमिक पहुंच हमारे समय की प्रतिज्ञा है और सूचना का लोकतांत्रिकरण इसका परिणाम। हमें अवश्य ही इस आकांक्षापूर्ण लक्ष्य पर काम करना चाहिए।

मेरी अपनी खोज, भारत की

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र हैं, और स्वतंत्रता तथा कानून के शासन के लिए लड़ी गई महत्वपूर्ण लड़ाईयों का इतिहास, इन दोनों देशों की विरासत में हैं। यह शायद मेरे जैसे एक अप्रवासी अभारतीय के लिए भारत के ज्ञान के बारे में विमर्श करना थोड़ी धृष्टता होगी, लेकिन मुझे इस बात से प्रसन्नता हुई है कि मेरे प्रयासों को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और मैं अब उन्हें दुगने प्रयासों के साथ करना चाहूँगा।

यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि ज्ञान पर सार्वभौमिक पहुंच पाने के लिये, और ज्ञान को सभी अंकुशों से स्वतंत्र करने के लिये दुनिया भर में क्रांति छिड़ जाए, तो इस क्रांति का नेतृत्व करने के लिये भारत, दुनिया भर के देशों में सबसे अच्छी स्थिति में होगा। मेरे इस विश्वास के पीछे दो उपाख्यानों के उदाहरण हैं जिसे मैं बताना चाहूँगा।

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