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साबरमती आश्रम के दौरे के नोट्स

कार्ल मालामुद, 5 अक्टूबर 2016, एयर इंडिया 173

हमारी कार भारत के अहमदाबाद में स्थित साबरमति आश्रम की ओर बढ़ रही थी। यह वही आश्रम है, जहां गांधी जी रहते थे। यहीं से उन्होंने समुद्र तट तक की अपनी ऐतिहासिक दाण्डी यात्रा शुरू की थी और ब्रिटिश सरकार के आदेशों का उल्लंघन करके नमक बनाया था। यहीं से 18 वर्षों की स्वतंत्रता की लड़ाई शुरू हुई, जिसने अंततः भारत को स्वराज दिलाया।

हमारी कार में ड्राइवर के बगल वाली सीट पर हिमांशु व्यास बैठे हुए थे, जो गुजरात में कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता हैं। गुजरात वह राज्य है, जहाँ अहमदाबाद स्थित है। पीछे की सीट पर मेरे साथ दिनेश त्रिवेदी बैठे थे, जो एक सांसद हैं, और कुछ वर्ष पहले भारत सरकार में रेल मंत्री थे। उनके बगल में प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं तकनीकी विशेषज्ञ सैम पित्रोदा बैठे थे, जो देश के प्रमुख तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में दो-दो प्रधान मंत्रियों के सलाहकार, कैबिनेट मंत्री के स्तर पर रह चुके हैं। यही वो व्यक्ति हैं, जिन्होंने भारत के हर गांव में टेलीफोन की सुविधा लाकर भारत में दूरसंचार क्रांति ला दी।

साबरमती आश्रम के गेट पर बहुत कड़ी सुरक्षा थी। यह 2 अक्टूबर का दिन था, अर्थात् गांधी जी का जन्मदिवस और राष्ट्रीय अवकाश भी। गुजरात के राज्यपाल और पूरे देश के अनेंक पदाधिकारी उनके जन्मदिन पर आयोजित पारंपरिक प्रार्थना सभा में आश्रम के अंदर मौजूद थे।

जैसे ही हमारी कार आश्रम के गेट की ओर मुड़ी, हमें तुरंत ही पुलिस ने घेर लिया। वे हमारी कार की छत पर जोर-जोर से पीटने लगे और हम पर चिल्लाने लगे कि हमें अपनी कार को वापस मोड़नी होगी। हिमांशु व्यास ने अपनी खिड़की का शीशा नीचे किया और जोर से बोले "सैम पित्रोदा! दिनेश त्रिवेदी! संसद सदस्य!"

जल्द ही गेट खुल गया और हमारी कार तेजी से कीचड़ भरे पार्किंग स्थल से होती हुई बिल्डिंग के करीब जा रुकी, जहां प्रार्थना सभा हो रही थी।

राज्यपाल को आश्रम से बाहर ले जाने के लिए उनकी कार और एक दर्जन सेना के वाहन, आश्रम के प्रवेश द्वार पर तैयार खड़े थे। हम अपनी कार से बाहर निकले और सैम और दिनेश को तुरंत लोगों ने घेर लिया। लोग उनके साथ सेल्फी लेने लगे और उनके पुराने मित्रगण उनसे मिलने के लिये दौड़ने लगे।

सैम और दिनेश ने खुद को उस भीड़ से निकाला और राज्यपाल का अभिवादन करने तेजी से आगे बढ़े। मैं उनके साथ-साथ ही था, इसलिए सुरक्षा कर्मियों ने मेरा रास्ता नहीं रोका। राज्यपाल का अभिवादन करने के बाद, भारी भीड़ ने सैम और दिनेश को घेर लिया। वे उनके साथ तस्वीरें खिंचवाने लगे और उनका अभिवादन करने लगे।

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