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कोड स्वराज


इस शुभ दिन पर हमारा आश्रम आने का उद्देश्य और सैम द्वारा मुझे भारत लाने का कारण था, "गांधीजी, हिंसा पर चर्चा (Gandhi: Dialogue on Violence)" नामक एक कार्यशाला जहाँ हमें भाग लेना था। दो महीने पहले सैम ने मुझे एक शाम को फोन किया, वह घबराए हुए और परेशान थे। उन्होंने आतंकवादियों द्वारा किए गए बम विस्फोटों, अनेक राज्य सरकारों के द्वारा उनके अपने ही लोगों पर किये गये हमलों, और लोगों के बीच एक दूसरे के खिलाफ बढ़ती हिंसा की भावना के बारे में मुझसे बात की। उन्होंने कहा, "हमें जरूर कुछ करना चाहिये"। उन्होंने इस कार्यशाला को गांधी आश्रम में आयोजित करने का फैसला किया। वह यह जानना चाहते थे कि क्या मैं इस कार्यशाला के लिए उनके साथ भारत आऊंगा।

सैम ने समझाया कि वह चाहते हैं कि यह कार्यशाला मह़ज़ बात-चीत और दुनिया की स्थिति पर दुःख व्यक्त करने तक सीमित न हो। वह चाहते हैं कि यह कार्यशाला एक शांति आंदोलन की शुरुआत करें। आज दुनिया में जो कुछ गलत हो रहा है, उसे ठीक करने के लिए, यह आंदोलन गांधी जी के तरीकों और शिक्षाओं पर आधारित हो।

जब सैम मुझसे कुछ करने को कहते हैं, तो अमूमन मैं हाँ ही कहता हूँ। अगले दिन सैम ने साबरमती आश्रम कॉल कर पता करने लगे कि क्या वे हमारी मेजबानी करेंगे और दूसरे लोगों को कॉल कर हमारे साथ जुड़ने के लिए चर्चा करने लगे। मैंने भी अपने वीज़ा आवेदन पर काम करना शुरू कर दिया।

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जब सैम और दिनेश अपने प्रशंसकों का अभिवादन कर रहे थे, तब मैंने चारों ओर देखा। आश्रम सैकड़ों स्कूली बच्चों से भरा था, जो अनेक समूहों में एकत्रित थे। वे बिल्डिंग के चारों ओर घूम रहे थे। एक बिल्डिंग के बाहर अनेक संगीतकार एकत्रित थे। वे पारंपरिक भजन (प्रार्थना गीत) गा रहे थे, जो विशेषकर गांधीजी के प्रिय भजन थे। विद्यार्थी जमीन पर बैठे सूत कात रहे थे। गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए गांधी जी के निवास के बाहर आगंतुकों का एक बहुत बड़ा समूह इकट्ठा था।

जब मैं वहां खड़ा था, तो लाल रंग की शर्ट पहने एक लंबा युवक मेरे पास आया और उसने अपना परिचय दिया। वे श्रीनिवास कोडाली थे, जिनसे मैं व्यक्तिगत रूप से कभी नहीं मिला था, लेकिन मैं उनके साथ कई वर्षों से काम कर रहा था। श्रीनिवास एक युवा परिवहन इंजीनियर हैं, जो भारत सरकार पर मुकदमा चलाने में मेरे साथ सह-वादी के रूप में जुड़े थे। मैंने उनका स्वागत किया और उनसे कहा कि वह मेरे पास ही रहें, अन्यथा वे खो जाएंगे।

दिनेश की कोहनी पकड़ कर सैम ने खुद को भीड़ से बाहर निकाला और उन्होंने मुझसे कहा, "'बेयरफुट कॉलेज' के संस्थापक श्री बंकर राय को उपहार की प्रस्तुति" श्रीनिवास कोडली के साथ, हम गांधी जी के पुराने घर, आश्रम और आश्रम की दुकानों और गलियारों में गए, जहां इडली और उपमा का नाश्ता परोसा जा रहा था।

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