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कोड स्वराज


शुरू करने के लिए क्या अगला कदम उठा सकते हैं जिस पर कार्य करने का प्रयास किया जा सके। हम एक ही दिन में हिंसा की स्थिति को हल करने के लिए एकत्र नहीं हुए थे। हम वहां इस बात पर विचार करने के लिए मौजूद थे कि हम, लंबे समय तक व्यक्तिगत रूप से क्या कर सकते हैं और क्या हम अपनी आवाज उठाने के लिए समुदाय के रूप में एकत्रित हो सकते हैं।

मैं बेकल (उद्विग्न) था। जब उस रविवार की देर रात को सैम ने मुझसे फोन किया था, तब से उस गंभीर बात को लेकर मैं काफी परेशान था क्योंकि मेरा दैनिक काम केवल सरकारी सूचना को एक डिस्क से दूसरी डिस्क में कॉपी करना था। हालांकि, मैं निश्चित रूप से कानून व्यवस्था, सीमा संबंधी मुद्दे, विश्व शांति, हिंसा रोको जैसे विषयों पर कई वर्षों से सुन रहा हूँ, पर गांधी जी की शिक्षाएं मुझसे कोसों दूर थीं। मेरे पास कोई उचित उत्तर नहीं था, ना हीं कोई स्पष्ट अंतर्दृष्टि।

कार्तिकेय जी का पिछले दिन हुई चर्चा का सारांश, तीन बिंदुओं के रुप में सामने आया। पहला, हमें सहनशीलता सीखनी चाहिए और विविधता को प्रोत्साहित करना चाहिए। दूसरा,हमें सहन करना सीखनी चाहिए और असहमति (dissent) को प्रोत्साहित करना चाहिए। तीसरा, यदि हम वास्तविक प्रभाव डालना चाहते हैं, तो हमें निर्भयता के महत्व को समझना होगा। ये सभी तीन बिंदुएं, गांधी जी के शिक्षाओं पर आधारित हैं।

सैम पित्रोदा ने चर्चा की शुरुआत की और हमें समझाया कि हमें एक साथ क्यों बुलाया गया है। मैंने पिछले कुछ महीनों में इन विषयों पर कई बार सैम को सुना हूँ क्योंकि उन्होंने अपने उस किताब के बारे में चर्चा की, जिसपर वे आजकल काम कर रहे हैं और मैंने कई बार उनकी बातें सुनी है। उनका मानना है कि हमें अपनी दुनियां को दोबारा डिजाइन करना होगा-यह सैम की नई थीसिस है। जैसा कि हम सब देख रहे हैं, आज जो दुनियां देखते हैं, इसका डिज़ाइन दुसरे विश्व युद्ध के बाद किया था, और तब हमने संयुक्त राष्ट्रसंघ, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और अन्य संस्थानों का निर्माण किया जिन्हें आज हम जानते हैं। यह दुनियां मूलतः कुछ अमीर और शक्तिशाली देशों की जरूरतों पर आधारित है, और जहाँ कहने के लिये। उपनिवेशों की एक 'तीसरी दुनिया' है जो गरीबी से पीड़ित है, अनेक गैर-लोकतांत्रिक निर्धन देश भी इस प्रणाली के सहभागी हैं।

लेकिन, महान अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स (John Maynard Keynes), अल्फ्रेड मार्शल (Alfred Marshall) और अन्य सभी लोगों ने जिस विचार धारा पर विचार नहीं किया वह था गांधी विचार धारा। गांधीजी के प्रयासों ने न केवल भारत को आजादी दिलाई, बल्कि वैश्विक स्तर पर उपनिवेश विरोधी आंदोलनों को फैलाया।

आज सोवियत संघ नहीं है। यूरोपीय संघ ने ग्रेट ब्रिटेन बाहर हो गया है। भारत और चीन काफी तेजी से विकसित हो रहे हैं। इसके बावजूद, हमारी दुनिया सुचारू रूप से काम नहीं कर पा रही है। सैम ने कहा, यह दुनिया टूट गई है, तबाह हो रही हैं। ऐसा इसलिए है। क्योंकि इसका डिज़ाइन कई वर्ष पहले हुआ था, और वह डिज़ाइन आज के समय के अनुरुप नहीं है।

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