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साबरमती आश्रम के दौरे के नोट्स

भारत अपनी जरुरत से ज्यादा भोजन (खाद्य पदार्थ) पैदा करता है, इसके बावजूद भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा आज भी भूखमरी का शिकार है। दुनिया भर में, समय के साथ घटने के बजाय, आय की असमानता बहुत बढ़ गई है। रोग, अपर्याप्त पानी और गरीबी जैसी अनेंक समस्या दुनिया को बहुत ही अधिक प्रभावित कर रही है।

और फिर यहाँ काफी हिंसा है। एक देश अन्य देशों के खिलाफ, और अपने ही लोगों के खिलाफ भी हिंसा का सहारा ले रही है। आतंकवादी हिंसा, और एक समुदाय का अन्य समुदायों के खिलाफ की हिंसा, चौंकाने वाली है। बलात्कार, हत्या और दुर्व्यवहार, व्यक्तिगत हिंसा के अनेक रूप काफी फैल रही हैं।

सैम तकनीक के दृष्टिकोण से आशावादी व्यक्ति हैं। उनका मानना है कि हमें आज के दुनिया में कुछ करने का एक अनूठा अवसर मिला है। मसलन हुम अनेक रोगों का इलाज कर सकते हैं। हमारे पास साफ पानी हो सकता है। हम इंटरनेट की गति बढ़ा और उसे सार्वभौमिक बना सकते हैं, और तो और हम इंटरनेट को मुफ्त में उपलब्ध करा सकते हैं। हम ग्लोबल वार्मिंग को कम सकते हैं।

लेकिन, इनमें से कुछ भी करने के लिए, हमें अपने वैश्विक तंत्र को फिर से डिजाइन करना होगा कि हम अपनी दुनिया को किस तरह से चलाते हैं। सैम अक्सर कहते हैं कि हमें विशेष रूप से अपना ध्यान मानव अधिकारों पर केंद्रित करना होगा, हमें मानवीय जरूरतों पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना होगा।

जब सैम ने अपनी बात खत्म कर ली, तब उसके बाद दिनेश त्रिवेदी ने बात की। दिनेश त्रिवेदी लंबे समय से सांसद रहे है और वे काफी आध्यात्मिक और धार्मिक व्यक्ति भी हैं। सैम और मैं दिल्ली में उनके ही घर में रुके थे और मुझे उन्हें करीब से जानने का मौका मिला।

दिनेश ने कहा, हमारी आधुनिक दुनिया की प्रमुख समस्या यह है कि कोई भी एक समुदाय, अन्य सभी समुदायों से काफी नफरत करता है। यह व्यक्तिविषेश रहित घृणा (depersonalized hatred) की वजह से एक व्यक्ति यह मान लेता है कि इस सामदायिक घृणा के बारे में वह निजी फैसला नहीं कर सकता। क्योंकि इस घृणा की उत्पत्ति उसके अपने समुदाय की आम सहमति से हुई है। इस तरह की सामुदायिक हिंसा के शिकार हुए व्यक्ति को हम एक खास व्यक्ति विशेष की तरह नहीं देखते हैं ब्लकि वह हमारी घृणा के एक बेनाम पात्र होते है।

यह हिंसा अक्सर राष्ट्रवाद के आधार पर या जाति-भेदों से पैदा होती है, लेकिन कई बार यह धर्म की भिन्नता से भी पैदा होती है। दिनेश जी ने कहा कि हमें अपने अंदर झांकना होगा कि दुनिया की जरूरत, केवल धर्म पर ध्यान केंद्रित करना नहीं है, बल्कि आध्यात्मिकता पर ध्यान केंद्रित करना है। यह केवल हम पर निर्भर करता है कि हम अपने आप को बदलें क्योंकि केवल तब ही हम दूसरों को बदल सकते हैं।

फिर दीना पटेल ने बात की। उन्होंने कहा कि हिंसा रोकने का सबसे अच्छा तरीका यह है। कि इसकी शुरुआत आप स्वयं से करें। उन्होंने एक युवक की कहानी सुनाई, जिसका

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