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कार्ल मालामुद की टिप्पणियां

यह सोचा जा सकता है कि ये दस्तावेजें, जिसे कानून की शक्ति का समर्थन है और जो समाज की सरक्षा को सनिश्चित करते हैं, वे सहज उपलब्ध होने चाहिए। लेकिन विश्वभर में ये पब्लिक सेफ्टी लॉ को भारी शर्तों के साथ और अत्यधिक दामों पर बेचा जाता है। यह एक वैश्विक समस्या है, यह ऐसी समस्या है, जो पक्षधर राजनीति और राजनैतिक विभाजन से परे है।

मैंने इस स्थिति को बदलने के लिए 10 वर्ष का समय लगाया है और यह काफी लंबी यात्रा रही है। भारत में, हमलोगों ने इन सरकारी दस्तावेजों के खुले वितरण के लिये मंत्रालय को एक औपचारिक याचिका दायर किया है। मेरी इस याचिका में, मेरे साथ सैम, इंटरनेट के जनक विंट सर्फ, और पूरे भारत से अनेक प्रख्यात इंजीनियरिंग प्रोफेसरों के हलफनामें (affidavits) भी जुड़े हैं।

जब यह याचिका को ठुकरा दिया गया तो हमने जनहित मुकदमे के रूप में अपनी याचिका को दिल्ली के माननीय उच्चतम न्यायलय में पेश किया है। वहां यह मुकदमा अब भी चल रहा है। मैं, भारत में दायर इस याचिका में अपने दो सहयोगियों के साथ आवेदक के रूप में। शामिल हुआ जिनमें से एक श्री. श्रीनिवास कोडाली, परिवहन इंजीनियर हैं और दूसरे हैं डॉ.सुशांत सिन्हा, “इन्डियन कानून (Indian Kanoon)' के संस्थापक। ‘इन्डियन कानून’ एक सार्वजनिक सिस्टम है जो निःशुल्क सभी न्यायलयों के विचारों और सभी कानूनों से अवगत कराती है।

उच्च न्यायलय के समक्ष हमारा प्रतिनिधित्व श्री. निशीथ देसाई और उनकी फर्म, और माननीय सलमान खुर्शीद, पूर्व कानून मंत्री और पूर्व विदेश मंत्री कर रहे हैं। मैं काफी प्रसन्न हूँ कि श्री. देसाई आज की संध्या में, हमारे साथ हैं।

कानून की उपलब्धता केवल भारत के लिए प्रश्न नहीं है अपितु यह वैश्विक चुनौती है। हमारे इस तरह का मुकदमा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की कोर्ट ऑफ अपील्स में, और यूरोप में जर्मनी के कोर्ट में भी लड़ रहे हैं, जहाँ हम वहाँ के नागरिकों के लिए यूरोपीय यूनियन से मान्यताप्राप्त सेफ्टी स्टैण्डर्स को निःशुल्क पढ़ने और पोस्ट करने की मांग कर रहे हैं। हमारे संयुक्त राज्य के मुकदमे के लिये डिस्ट्रिक्ट आफ कोलंबिया न्यायालय में हमारा प्रतिनिधित्व ई.एफ.एफ & फेनविक एवं वेस्ट (EFF and Fenwick & West) कर रहे हैं और मैं इस बात को लेकर प्रसन्न हूं कि आज की रात ई.एफ.एफ के मिच स्ट्रोलट्ज़ (Mitch Stoltz) भी आज दर्शकों के बीच मौजूद हैं।

इस वैश्विक कानूनी अभियान में उल्लेखनीय यह है कि श्री.देसाई और श्री.खुर्शीद समेत सभी वकील नि:शुल्क (pro-bon0) कार्य कर रहे हैं। विश्व भर में, नौ लॉ फर्मे हमारी सरकारों को याचिका दायर करने में हमारी सहायता कर रहे हैं, और वे दस हजार घंटों की कानूनी सहायता का योगदान नि:शुल्क दे रहे हैं।

इसका कारण यह है कि वे विश्वास करते हैं कि देश, कानून के शासन से चलता हैं। अतः कानून अवश्य उपलब्ध होने चाहिए क्योंकि कानून की अनभिज्ञता उसे उल्लघंन करने का बहाना नहीं हो सकती। कानून सभी लोगों को पढ़ने के लिए उपलब्ध होने चाहिए क्योंकि

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