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कोड स्वराज

राजीव गांधी ने मुझे राजनीतिक इच्छा-शक्ति दी और मुझे ऐसा महसूस हुआ कि कनेक्टिविटी के अभाव में, यहां कोई भी काम शुरु नहीं किया जा सकता है। उसके बाद हमने बीस लाख टेलिफोन लगवाए, जब कि इसके पहले एक टेलिफोन कनेक्शन लगवाने में लगभग 15 वर्ष लग जाया करते थे। हो सकता है कि यह बात आज न आप जानते हैं, न आपके पिता जी, लेकिन आपके दादाजी यही जानते थे। आज हमारे पास 1.2 अरब फोन कनेक्शन हैं। आज हमारा देश सौ करोड़ लोगों का एक जुड़ा देश है।

मूल प्रश्न यह है कि कनेक्टिविटी हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है?

दूसरी चुनौती ज्ञान की है। और ज्ञान को सार्वजनिक अधिकार क्षेत्र (पब्लिक डोमेन) में लाने के लिए, और सूचना का लोकतंत्रीकरण करने के लिए, आपको कनेक्टिविटी की जरूरत है। इसीलिए हमने ज्ञान आयोग, सूचना का अधिकार, ज्ञान का अधिकार, आदि की शुरुआत की। और जिन लोगों के साथ हम कार्य कर रहे हैं उनके लिए इनका कोई अधिक महत्व नहीं था। वे नहीं समझ रहे थे कि हुम किस बारे में बात कर रहे हैं। मुझे याद है जब मैंने टेलिफोन पर काम करना शुरु किया, तो उस समय भारत में कई मोर्चे पर टेलिफोन को अनुपयोगी बताया जा रहा था। वे यह कह रहे थे कि ये विदेश से लौटने वाले युवागण (foreign return guys) भोजन और कृषि की चिंता छोड़कर भारत में फोन लगाने पर क्यों तुले हैं।

मेरा उनको जवाब था कि “मुझे नहीं मालूम कृषि की समस्याओं को कैसे सुलझाना है और कृषि के काम को कैसे सुलझाया जाय इसके लिये किसी और को ढूढ़े। मैं अपना काम करना जानता हूं। मैं फोन की मरम्मत करने की कोशिश कर सकता हूं, लेकिन मैं गारंटी नहीं दे सकता कि मैं यह कर पाऊंगा। लेकिन भारत में हर छोटे से छोटे प्रयासों का भी मूल्य है। जो आप सबसे अच्छा कर सकते हैं, वह करते रहें, कोई और किसी काम में निपुण होगा, वह वो काम करेगा। हम सभी के थोड़े-थोड़े सहयोग से बड़े उद्देश्य की प्राप्ति होगी।”

सालों पहले हमने जो सपने देखे थे, आप उन्हें सच में साकार कर रहे हैं। आपकी मदद के बिना, हमारे सभी काम बेकार हो जायेंगे। और यह, कोई नहीं समझेगा।

मेरे लिए पारदर्शी सरकार बहुत महत्व रखती है, और ओपन डाटा इसकी नींव है। जब ओबामा यहां आए थे, तो मुझे उनसे साथ आधे घण्टे का समय बिताने का अवसर मिला। मैंने उन्हें स्पष्ट करने का प्रयास किया कि हम ग्रामीण भारत की कनेक्टिविटी बढ़ाते हुए हम क्या करना चाहते हैं। हमने उनसे राजस्थान में सम्पर्क किया और उन्हें जब हमने बताया कि हम किस तरह का कनेक्टिविटी प्लेटफोर्म बना रहे हैं, जैसे कि जी.आई.एर डाटा सेंटर्स, साइबर सिक्योरिटी एप्लिकेशन इत्यादि, तो यह सब सुनकर वे बहुत विस्मित हुए।

उन्होंने कहा, “सैम, तुम सभी इन सब बारे में कैसे सोचते हो?” मैंने उनसे कहा, “अगर हम इस तरह नहीं सोच सकते तो हम नए भारत का निर्माण नहीं कर पाएंगे। पुरानी तकनीकों से नए भारत का निर्माण करना काफी कठिन होगा।

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