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डॉ.सैम पित्रोदा की टिप्पणियां

नई तकनीकें और हमारी युवा प्रतिभा पर ही हमारी आशा है । भारत की युवा प्रतिभा में मेरा दृढ़ विश्वास है। 1984 में जब हमने सी.डॉट. (C-DoT) की स्थापना की, तब संगठन में भर्ती हुए लोगों की औसत आयु 23 वर्ष थी। वे काफी प्रतिभाशाली, मेहनती, ईमानदार, प्रतिबद्ध,साहसी, समर्पित, राष्ट्रवादी लोग थे, और उन्होंने ही सभी चीजें बनाई।

लोग कहते थे, “आप सिर्फ युवाओं को ही क्यों ले रहे हैं?” मैने कहा “ क्योंकि वे फ्रेशर, ऊर्जावान, उत्साहित और मानसिक तौर पर भ्रष्ट नहीं हैं।”

भारत में बहुत-सी समस्याएं और चुनौतियां हैं, इसलिए जब लोग मुझे भारत की समस्याओं के बारे में बताते हैं, तो मैं उनसे कहता हूं, “भारत में समस्याओं को खोजने के लिए आपको विशेष प्रतिभा की जरूरत नहीं है।” और न ही उनके समाधान करने के लिए आपको प्रतिभा की जरूरत है। आपको सिर्फ साहसी लोगों की जरूरत है, जो आपको कुछ कर के देने को तैयार हैं, और जो भारत के लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं।

अभी हमें मीलों चलना है। अगले 50 साल के लिए काम पड़े हुए हैं। मैं पिछले 40 सालों से में कहता आ रहा हूं, “दुनिया के प्रतिभाशाली लोग अमीरों की समस्याओं का निराकरण करने में व्यस्त, वास्तव में जिनके पास कोई समस्या है ही नहीं।”

फलतः गरीबों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए उपयुक्त प्रतिभा की सेवा (Self-Employed Women's Association of India) नहीं मिल पाती है। भारत ही एक ऐसा देश है। जो अन्य देशों की तुलना में ऐसे प्रतिभा से भरा हुआ है, जिससे गरीबी दूर की जा सकती है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसमें 40 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं और यहाँ के सफल हुए समाधान के तरीकों को दूसरे देशों की गरीबी मिटाने के लिए भी किया जा सकता है।

हमारा देश विषमताओं का देश है। भारत के बारे में मैं जो भी कहूँ, आप उससे बिलकुल विपरीत कह सकते हैं, और आप फिर भी 100% सही माने जाएंगे। यही भारत की विशेषता है। सामाजिक विविधता, नवप्रवर्तन (इन्नोवेशन) के लिये बहुत ही उपजाऊ जमीन है। सबसे ज्यादा विविधता भारत में ही पाई जाती है। हो सकता है कि भारत के विभिन्न राज्यों में रहने वाले लोग दिखने में वैसे न हो, जैसा कि एक आम भारतीय दिखता हो।

मुझे याद है एक बार जब मैं मेक्सिको में भारत के राजदूत से मिलने की प्रतीक्षा कर रहा था। जहां मैं मुख्य वक्ता था, 500 व्यक्तियों को संबोधित करने के लिये। तभी किसी ने मुझसे कहा, “ भारतीय राजदूत आ रहे हैं ” मैं उनसे मिलने पहुंचा, लेकिन वे मुझे नहीं मिले। अखिकार मैंने कहा, “कहाँ हैं वे?” तब एक व्यक्ति ने बताया, “ वे सामने की लाइन में बैठे हैं और आपका ही इंतजार कर रहे हैं।”

चूंकि वे पूर्वोत्तर भारत से थे, इसलिए कुछ चीनी की तरह दिख रहे थे। और मैंने अपने इतने अनुभव के बावजूद, मैं यह सोंच रहा था कि भारतीय राजदूत मेरी तरह ही दिखना चाहिए।

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