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कार्ल मालामुद की टिप्पणियां

अब हम जन हित के लिए भारत सरकार पर मुकदमा कर रहे हैं। श्रीनिवास कोडाली मेरे सह-याचिकाकर्ता हैं। मेरे दोस्त, सशांत सिन्हा, जो यहां मौजद हैं. वो एक अदभत पत्रिका ‘इन्डियन कानून का प्रकाशन करते हैं, जो न्यायालय के सभी मामलों के बारे में सूचना देती है। वे मेरे सह-याचिकाकर्ता हैं। निशीथ देसाई और उनके सहयोगी, उच्च न्यायलय दिल्ली में, नि:शुल्क रूप से हमारा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सलमान खुर्शीद इस मामले में हमारे वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।

पुनः हमें नवंबर महीने में अदालत में पेश होना है। इससे संबंधित कागजी कार्य समाप्त हो गए हैं और केंद्रीय सरकार चौथी बार भी अपनी प्रतिक्रिया देने में विफल रही है। हम मौखिक बहस कर इस केस को जीतने की उम्मीद कर रहे हैं। भारत में सरकारी सूचना का अधिकार, संविधान पर आधारित है। ये मानक सरकारी दस्तावेज हैं, जिन्हें कानून की शक्ति प्राप्त है।

तीसरा संग्रह, सरकारी राजपत्रों का है, जिसके बारे में श्रीनिवास ने अभी बात की है। हमने अभी इन पर काम करना शुरू किया है। हमने अभी भारत के राजपत्र' को प्रदर्शित किया है। अब मुझे कर्नाटक, गोवा, दिल्ली और अन्य कई प्रदेशों का राजपत्र मिल गया है। हम उन्हें अपलोड करने की तैयारी कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि बाकी बचे राजपत्रों को कैसे प्राप्त किया जा सकता है।

चौथा संग्रह ‘हिंद स्वराज' है। मैं एक दिन सैम से मिलने गया और उन्होंने पूछा कि “ क्या आपके पास पेनड्राइव है?”

"क्या?” फिर मैंने उन्हें एक यू.एस.बी. ड्राइव दिया। उसे उन्होंने कंप्यूटर में लगाया और फिर लगभग 15 मिनट के बाद मुझे वह वापस कर दिया। मैंने पूछा कि “यह क्या है?”

उन्होंने उत्तर दिया कि “महात्मा गांधी के संकलित कार्य हैं, सभी 100 भाग, जो 50,000 पृष्ठ की हैं। मैंने पूछा, “आपने इसे कहाँ से प्राप्त किया?”

यह मुझे आश्रम ने दिया”

“अच्छा, अब वे इसका क्या करेंगे?”

सैम ने कहा कि वे उनको वेबसाइट पर डालेंगे।

पुनः मैंने पेनड्राइव को देखा और पूछा, “क्या मैं इसे वेबसाइट पर डाल सकता हूँ?”

सैम ने आत्मविश्वास से कहा “हाँ, जरूर!”

क्या वे नाराज नहीं होंगे?”

“नहीं, कोई इसकी परवाह नहीं करेगा”

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