पृष्ठ:कोड स्वराज.pdf/८८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

कोड स्वराज

इसलिए मैंने उन्हें इंटरनेट पर डाल दिया। मैंने यह निर्णय उसी समय ले लिया था जब हम इस संग्रह के 100 भागों पर काम कर रहे थे। आप उन्हें सर्च कर सकते हैं और इसे ई-बक के रूप में डाउनलोड भी कर सकते हैं। मैं दूसरे सरकारी सर्वर पर भी गया। मुझे उनमें जवाहर लाल नेहरू द्वारा किए गए कुछ चयनित कार्य मिलें। लेकिन उनमें तीन खंड गायब थे। मैंने उन तीन खंडों की तलाश की। वे सभी इंटरनेट पर मौजूद थे।

अब हमारे पास नेहरू जी के काम का संपूर्ण संग्रह है। डॉ. भीमराव अंबेडकर का संपूर्ण कार्य महाराष्ट्र से संबंधित सर्वर पर मौजूद था। लेकिन उनमें से भी छह प्रचलित खंड गायब थे। मैंने सर्वर से दस्तावेज लिए और शेष खंडों को प्राप्त किया। अब हमारे पास अंबेडकर जी के कार्यों का पूर्ण संग्रह है जो हिंद स्वराज संग्रह में इंटरनेट आर्काइव' पर है।

उसमें महात्मा गांधी द्वारा आकाशवाणी पर दिए गए 129 भाषण भी मौजूद हैं। उनके जीवनकाल के अंतिम वर्ष, प्रत्येक दिन, वह प्रार्थना सभा के बाद भाषण देते थे। इस तरह आप गांधीजी के अद्भुत जीवन के अंतिम वर्षों में उनके द्वारा दिए गए भाषण सुन सकते हैं। आप उनके संग्रहित कार्य को देख सकते हैं। उनके भाषणों के अंग्रेजी संस्करणों को भी देख सकते हैं और फिर आप उनके अगले दिन पर जाएँ - अगले दिन उनके द्वारा लिखे गए पत्रों को देख सकते हैं। अगले दिन उनके द्वारा दिए गए भाषणों को सुन सकते हैं। यह उनके जीवन को, दिन प्रतिदिन लगातार देखने का शानदार तरीका है।

हमने दूरदर्शन आर्काइव को देखा। उसमें नेहरू जी द्वारा कही गई भारत एक खोज, द डिस्कवरी ऑफ इंडिया की 1980 के दशक की श्रृंखला को पोस्ट किया। अब वे सारे एपिसोड इंटरनेट पर मौजूद हैं। हमने उनमें से कुछ एपिसोडों के तेलुगू और उर्दू भाषा के उपशीर्षक भी तैयार किए। उसके उपशीर्षक हमारे पास पांच भाषाओं में उपलब्ध हैं। इन सभी कार्यों को हम इसी रूप में करना चाहेंगे।

लेकिन मैं ‘डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया' के बारे में बात करना चाहूँगा क्योंकि यह वर्तमान समय का सबसे अहम मुद्दा है। जिस पर हम काम कर रहे हैं। वहां पर ऐसा सरकारी सर्वर था जिसमें 5,50,000 पुस्तकें मौजूद थी। कम-से-कम उतनी तो थी ही जितना उन्होंने कहा था।

एक साल पहले की बात है। मैं सैम के साथ बैठा था। हमने साप्ताहिक दौरे पर भारत का भ्रमण कर लिया था और काफी थक चुके थे। मेरी तबीयत खराब थी। हम संयुक्त राष्ट्र अमेरिका वापस जाने के लिए अपनी देर रात की फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे। सैम से मिलने बहुत लोग आ रहे थे। मैं चारो तरफ देख रहा था और मुझे डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया दिखी।

मैंने देखा तो मुझे ऐसा लगा कि वहाँ से चीजे निकाल ली जा सकती थीं। वहां पर बहुत सारी |पुस्तकें थीं। उन्हें देखना सुविधाजनक नहीं लग रहा था इसलिए मैंने एक छोटा-सा स्क्रिप्ट लिखा और वह काम कर गया। जब हम हवाईजहाज की यात्रा पूरी करके घर गए और अपने सर्वर को देखा। मैं इस बात को लेकर संतुष्ट हो गया कि हमने कुछ पुस्तकों को

80