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कार्ल मालामुद की टिप्पणियां

मेरा यह मानना है कि हमारे समय में प्राप्त अवसर हैं, ज्ञान तक हमारी पहुंच को सार्वजनिक बनाना, यही वह नायाब संकल्प है जिसे पूरा करना है। यह ऐसी चीजें हैं जिसे हम कर सकते हैं। हम इसे अंजाम दे सकते हैं। इसका महत्वपूर्ण कारण यह है कि लोकतंत्र का संचालन जनता द्वारा होता है।

नागरिकों को सभी चीजों से अवगत कराना लोकतंत्र की कुंजी होती है। मैं परिवर्तन में विश्वास करता हूँ। आज हम ग्लोबल वार्मिंग का समाधान नहीं कर पा रहे हैं। परंतु यदि हम यह समझ जाएं कि हमारे पर्यावरण के साथ क्या हो रहा है तो मेरा विश्वास है कि हम इसके लिए कार्य करना शुरू कर देंगे। मैं मानता हूँ कि परिवर्तन के लिए दो चीजें होनी चाहिए। गांधीजी ने हमसे कहा था कि परिवर्तन की एक कुंजी प्रेम है। जब आप नाज़ी (Nazis) को । देखें तो उन पर हाथ नहीं उठाएं। इस संदर्भ में, वर्तमान समय में, संयुक्त राज्य अमेरिका में हो रहे वाद-विवाद जो मुझे पसंद नहीं है वह है अति-दक्षिणपंथ, है ना? फिर दूसरी तरफ लोग हैं। जो बोलते हैं कि “नाजियों को खत्म करो।”

समाधान यह नहीं है। गांधी और किंग दोनों ने हमें बताया था कि इस समस्या का समाधान प्यार है। उन्होंने हमें कुछ और भी बताया था। यहाँ हम जस्टिस रानाडे के विचार को याद करते हैं, 'यदि हमें विश्व को बदलना है तो हमें स्वयं को शिक्षित करना होगा, और हमारे शासकों को भी शिक्षित करना होगा।

किंग और गांधी दोनों ने यह बात स्वीकार की थी कि सत्याग्रह से पहले उन्होंने स्वयं को शिक्षित करने में काफी समय लगाया था और उसके बाद अपने शासकों को शिक्षित किया। गांधीजी के दांडी जाने से पहले उन्होंने उस आश्रम में काफी समय बिताया था, स्वयं को और अपने साथ चल रहे साथियों को प्रशिक्षित किया था। उन्होंने सरकार को याचिका भेजी थी और उसमें कहा था, 'मैं यह करने जा रहा हूँ। इसलिए मेरा भी यह मानना है कि शिक्षा और प्रेम, प्रमुख चीजें है। रविंद्रनाथ टैगोर भी यही महसूस करते थे। गांधी जी मूल शिक्षा को हटाने का प्रयास कर रहे थे क्योंकि वे ब्रिटिश विद्यालयों को पसंद नहीं करते थे। टैगोर ने उनके ‘सत्य का आवाहण' का प्रकाशन किया और उन्होंने कहा कि “हमारे मस्तिक को ज्ञान के सत्य को स्वीकार करना चाहिए। उसी तरह हमारे हृदय को, प्रेम के सत्य को सीखना चाहिए।” आपको यह दोनों कार्य करना होगा।

मेरा यह मानना है कि मिथ्या समाचारों की समस्या का समाधान ज्ञान से होता है। आप गलत खबरों को रोक कर उनका समाधान नहीं कर सकते। लेकिन आप बेहतर समाचार प्राप्त कर, कर सकते हैं। आप सच्ची खबरें पढ़ कर, कर सकते हैं। यदि आप आर्थिक अवसर की समस्या का समाधान करना चाहते हैं, तो इसमें हमें मदद करनी होगी, क्योंकि इसे केवल एक व्यक्ति नहीं कर सकता है।

गांधीजी “ब्रेड लेबर” के बड़े प्रशंसक थे। जिसे बाईबल से लिया गया था और उनके अनुसार, उनका ब्रेड लैबर, उनका प्रिटिंग का काम था।

जब वे फिनिक्स आश्रम गए तो सभी को उनकी प्रिंटिंग प्रेस का प्रयोग करना पड़ता था। प्रति दिन, सभी लोग प्रिटिंग प्रेस पर काम करते थे। इसके बाद उन्होंने चर्खे का प्रयोग शुरु

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