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मौलाना मुहम्मद ज़काउल्लाह


परन्तु इन्हीं दो विषयों पर नही, और भी कितने ही विषयों पर आपने पुस्तक-रचना की। सम्पत्तिशास्त्र एक बहुत ही गहन और रूखा विषय है। पर उस पर भी आपने किताबें लिखी और ऐसे समय मे लिखीं जब इस विषय की प्राय: बिलकुल ही चर्चा इन प्रान्तो मे न थी। यदि यह कहा जाय कि आप उर्दू के सबसे बड़े लेखक थे तो कोई अत्युक्ति न होगी। आपकी विद्वत्ता को देखकर गवर्नमेट ने आपको शम्सुल्-उल्मा की पदवी दी। गणितशास्त्र पर आपने जो किताबें लिखी हैं उनके उपलक्ष मे गवर्नमेट ने डेढ़ हज़ार रुपया इनाम भी आपको दिया। खॉ बहादुर का खिताब भी आपको मिला। आप इलाहाबाद-विश्वविद्यालय के फेलो भी थे।

मौलवी ज़काउल्लाह ने छत्तीस वर्षों तक तो सरकारी नौकरी की और चौबीस वर्षों तक पेन्शन लेकर घर बैठे। आपने सब मिलाकर कोई डेढ़ सौ किताबें लिखी। अकेले गणित-विषय पर आपने ८७ किताबे लिख डाली। भूगोल और इतिहास पर आपने १७ किताबे लिखी। शेष किताबे और-और विषयो पर आपने लिखी। दस-पाँच किताबो को छोड़कर आपकी और सब किताबे प्रकाशित हो गई हैं। किसी-किसी की तो अनेक आवृत्तियाँ हो चुकी हैं। जो कुछ आपने लिखा प्रायः उर्दू ही मे लिखा। आप चतुरस्र विद्वान् थे। कोई विषय ऐसा न था जिसमे आपकी गति न हो।

आपका सबसे बड़ा और सबसे अधिक महत्त्व का ग्रन्थ