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कोविद-कीर्तन


चर्चा करने, का मौका नहीं मिला। उस कार्य से विरत होते ही उन्होने अपने ज्ञान-भाण्डार से नये-नये रत्न निकालने आरम्भ किये। उनके लेख विद्वान् और उच्च शिक्षा पाये हुए जन, टाइम्स आव् इंडिया आदि पत्रो में, बड़ी उत्कण्ठा से पढ़ने लगे। जोशोजी ने गवर्नमेट की भूमिकर-सम्बन्धिनी नीति का बहुत ही अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था। यही कारण था जो इस विषय मे लिखे गये उनके लेख बडे ही गम्भीर, प्रमाणपूर्ण और अखण्डनीय होते थे। अकाल के सम्बन्ध मे उन्होंने जो लेख लिखे थे उनका फल भी बहुत अच्छा हुआ। तत्सम्बन्ध में गवर्नमेट ने जॉच की और जोशीजी की शिकायतों को अनेकांश में दूर कर दिया। विलायत के नेविन्सन साहब ने---"न्यू स्पिरिट इन इंडिया" नाम की एक पुस्तक लिखी है। उसमे उन्होंने लिखा है कि जोशीजी के मुंह से अड्को की लम्बी-लम्बी लड़ियाँ इस तरह निकलती हैं जिस तरह कि फव्वारे से पानी की सैकड़ों पतली-पतली धारायें निकलती हैं।

मिस्टर डिग्बी और मिस्टर आर० सी० दत्त ने भारत की आर्थिक और औद्योगिक अवस्थिति के विषय में जो बड़ी-बड़ी पुस्तकें लिखी हैं उनके सड्कलन मे उन्हें भी जोशीजी से बहुत सहायता मिली थी।

कौसिल मे गवर्नमेट भी जोशीजी के काम को बड़े महत्त्व का समझती थी। जो कुछ वहाँ इन्होंने कहा या लिखा