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विष्णु शास्त्री चिपलूनकर

प्रवेशिका परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर विष्णु शास्त्री ने पूने के डेकन-कालेज में प्रवेश किया और सन् १८७२ ईसवी मे बी० ए० पास करके कालेज छोड़ा। अर्थात् बी० ए० मे उत्तीर्ण होने के लिए उनको लगभग ६ वर्ष लगे। यदि वे बीच की साधारण वार्षिक परीक्षाओ में उत्तीर्ण होते जाते तो बी० ए० होने के लिए उनको केवल ४ वर्ष लगते। परन्तु ऐसा नही हुआ; जितना चाहिए था उससे ड्योढ़ा समय उन्हें लगा। इसका कारण उनका पुस्तकावलोकन था। उन्होंने स्वयं लिखा है कि जिस समय वे कालेज मे थे और विद्या-पर्वत के उच्च शिखर तक पहुँचने के लिए शिक्षा विभाग के बनाये हुए मार्ग से जा रहे थे, उस समय मार्ग के दोनों ओर लगे हुए वृत्तो और लताओ के पुष्पों को देख, आकर्षितान्त:करण होकर, बीच ही मे वे रुक जाते थे। इस समय उनकी दूसरी भाषा संस्कृत थी। अतः मराठी और अँगरेज़ी के ग्रन्थावली- कन के अतिरिक्त वे संस्कृत भाषा के भी ग्रन्थों का अवलोकन, पहले की अपेक्षा अधिक, करते थे। इतिहास, साहित्य, संस्कृत और तर्कशास्त्र उनको विशेष प्रिय थे। गणित में उनकी रुचि अधिक न थी। सम्भव है, इसी अनभिरुचि के कारण उनको ६ वर्ष तक कालेज में रहना पडा हो।

विष्णु शास्त्री की स्कूल और कालेज की दिनचर्या मे कोई अन्तर नहीं हुआ। जैसे स्कूल मे विद्याध्ययन करने के समय वे शान्त और गम्भीर थे, वैसे ही कालेज में प्रवेश पाने पर भी