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पण्डित आदित्यराम भट्टाचार्य, एम० ए०


रीवॉ-नरेश, महाराजा जयसिंहदेव और विश्वनाथसिंहदेव, ने सब प्रकार से आश्रय दिया।

पण्डित राजीवलोचन न्यायभूषण, भट्टाचार्य महाशय के मातामह थे। उन्होंने अपनी कन्या ( पण्डित आदित्यराम की माता) को संस्कृत पढ़ाया था। वे खूब लिख-पढ़ सकती थीं। ज्योतिष का वे यहाँ तक ज्ञान रखती थीं कि जन्म-पत्र तक बनाती थी। उनके बड़े पुत्र का नाम पण्डित वेणीमाधव भट्टाचार्य है। आप बहुत दिनों तक प्रयाग मे म्यूनीसिपल कमिश्नर रहे हैं। अब भी वे वहीं हैं। इस समय आप आनरेरी मजिस्ट्रेट हैं।

पण्डित आदित्यराम की माता का नाम था धन्यगोपी। आदित्यरामजी उनके दूसरे पुत्र हैं। आपका जन्म २३ नवम्बर १८४७ को, प्रयाग मे, हुआ। आपकी विदुषी माता ने आपका जन्मपत्र सूतिका-गृह ही मे अपने हाथ से बनाया था। पाँच वर्ष के होने पर इन्होने अपनी माँ से अक्षराभ्यास किया और आठ ही वर्ष की उम्र मे ये बंगला मे रामायण और महाभारत पढ़ लेने लगे। प्रयाग से ये बनारस गये। उस समय प्रयाग मे ज़िला-स्कूल तक न था। बनारस मे ये अँगरेज़ी और संस्कृत दोनो साथ ही साथ पढ़ने लगे।

१८६४ ईसवी मे पण्डितजी ने प्रवेशिका-परीक्षा पास की । इस उपलक्ष्य में ग्रिफ़िथ साहब ने इनको वरसेस्टर का बृहत्-कोश इनाम मे दिया। इस कोश को पण्डितजी अभी तक बड़े