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कोविद-कीर्तन


है। इस कमिटी मे पण्डितजी का होना अत्यावश्यक है। लिविस साहब ने अपनी सरटीफ़िकट में एक जगह लिखा है——

Although Pandit Aditya Ram Bhattacharya has retired from the service of Government, he has, as far as it is possible for me to form an opinion, maintained the physical, moral and mental strength for many years' labour in selving his day and generation, and amongst other things it is hoped that he will still continue to take part in the work of the Provincial Text-Book Committee.

हस इस विषय मे लिविस साहब ही के साथ "तथास्तु" कहते हैं। पण्डितजी को कमिटी मे ज़रूर बना रहना चाहिए। साहब ने भट्टाचार्य महाशय की शारीरिक और मानसिक अवस्था के बहुत वर्षों तक काम करने योग्य बनी रहने का जो अनुमान किया वह सच है। यही कारण है, जो पण्डितजी ने स्वदेश-भक्ति से उत्साहित होकर, अपने तजरिबे और अध्ययन-कौशल से भावी सन्तति को शिक्षित बनाने के लिए, कुछ दिनों से बनारस के हिन्दू-कालेज मे शिक्षा देना प्रारम्भ किया है। ईश्वर आपको सदैव नीरोग और प्रसन्न रक्खे, जिससे चिरकाल तक आपके विद्यादान में त्रुटि न हो।

[दिसम्बर १९०४