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पण्डित मथुराप्रसाद मिश्र

को भी कभी स्वप्न में भी यह सन्देह न हो कि कोई हिन्दुस्तानी बोल रहा है। ऐसा अद्वितीय वक्ता हेडमास्टर पाने का ग्रिफ़िथ साहब को बड़ा गर्व था। वे बहुधा पण्डितजी के कमरे में आते थे; परन्तु सुनते हैं पण्डितजी उनके कमरे में बिना बुलाये कभी न जाते थे। जब कोई अँगरेज अधिकारी कालेज से आता था तब ग्रिफ़िथ साहब उसे पण्डितजी से अवश्य मिलाते थे और उनकी विलक्षण वक्तृता उसे सुनाते थे।

उनके एक विद्यार्थी का कथन है कि एक बार मिश्रजी लड़कों को पढ़ा रहे थे कि अध्यापक केबुल साहब ने अपने कमरे मे उनको बुलाया। उस समय, शीघ्रता मे, पण्डितजी के मुँँह से निकल गया-Let the boys be explained the passage पर कहना चाहिए था-Let the passage be explained to the boys. इसका पण्डितजी को बहुत दिनों तक रञ्ज रहा।

विलायत जाने के पहले बनारस-कालेज के भूतपूर्व प्रधाना- ध्यापक (प्रिसपल ) जेम्स आर० बालेटाइन साहब, एल-एल० डी० ने पण्डितजी को जो सरटीफिकट दिया है उसमे उन्होने मानों पण्डितजी का जीवनचरित थोड़े मे कह सुनाया है। उसमे और-और वातो के सिवा पण्डितजी की नियम-निष्ठा, विद्या-प्रेम, कार्य-दक्षता और सचरित्रता की भी ख़ूब प्रशंसा की है। उसकी यथातथ्य नक़ल हम आगे देते हैं—

Ever since I first joined the Benares College, I have known Babu Mathura Prasad