पृष्ठ:क्वासि.pdf/१०३

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क्वालि मत देखो यूं मॉख तरेर, दुक से लेने दो तनिक देर । बहती हे या अखण्ड धारा, सिचता हे सुरति क्षेत्र प्यारा, दो धाराओं का एक स्रोत,- पर्य कि तु पना यारा यारा, दाएँ पाएँ का हर फेर, टुका रो लेने दो तनिक देर । ६ कैसे देखू जग की झाँकी ? लीलामय की लीला बॉमी ? ऑखों के अल में तैर रही- छनि निठुर तुम्हारी प्रतिमा की, लोचन ऋण से क्यों तुम्हें बैर ? दुक रा लेने दो तनिक देर । यौवन यों बीता जाता है, हिंय पल पल में अकुलाता है, मुझको रह रह के इधर उधर- भटकाता है, टुक रो लेने दो तनिक देर, क्यों छेड रहे हो बेर बेर ? भाव मार्ग च्युत हूँ, हूँ लक्ष्य हीन, तन छीन, बना हूँ मन मलीन, मतिहीन, लीन मादकता में मारा फिरता हूँ मैं नवीन, सतहत्तर