पृष्ठ:क्वासि.pdf/१०४

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बासि पथ पर तुम लाओ मुझे धेर, दुक रो रोने दो तनिक देर । १२ श्रादर्श सुमरनी के मनके,--- स्मृति सापा ये जीवन धन के,- विरारे है एक एक कर के, है भग्नतार इस जीवन के, टूटा है माला का सुमेर, शुक से लेने दो तनिक देर । होली सी जा उठती क्षण में, मॅडराता धुशॉ कभी मन में, फिर कभी कभी लगती झाडियाँ, लुटती निधियों जल कण कण में, माधी पानी का यही फेर, एक रोखो दो तनिक देर । सुइयों सी चुभ चुभ जाती है, यह हूक कूक उठ भाती है, आँखों के कुहरे में छुपके-- वेदना, विपाद लुटातो है, टुक से लेने दो तनिक देर, क्यों बेड रहे हो बेर बेर ? १५ जीवन पय टेढ़ा मेढा है, सजनी, यह एक बखेडा है, यह मुसाफिरी का दीवाना- यात्री भी एडा डा है, प्रहत्तर