पृष्ठ:क्वासि.pdf/१०५

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शासि लो, इधर उधर पड़ रहे पेर, टुक रो लेने दो तक देर। कुछ आए स्मरण रिपाद भरे, कुछ गये उधर की ओर, रे, कुछ ढरक गये वक्षस्थल पे- कुछ उन चरणों में जा निखरे, घिर भाती पदली बेर चेर, टुक से लने दो तनिक देर । जिला जेल गाजीपुर दिनाङ्क २२ दिसम्बर १६३० उनासी