पृष्ठ:क्वासि.pdf/११

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१२ श्रात्मा की क्रिया है जो उनके शरीर के भीतर निवास करती हैं और मरण के समय उसे छोड़ जाती हैं। उस श्रारम्भिक काल से मनुष्य यह विचार करने पर बाध्य हो गए हैं कि इस बारमा और बाह्य जगत् के बीच किस प्रकार का सम्बन्ध है।....इस प्रकार विचार और अस्तित्व के पारस्परिक सम्बन्ध के प्रश्न, घेता और प्रकृति के सम्बन्ध के प्रश्न-सम्पूर्ण दर्शन के इस महत्तम प्रश्न और इसी प्रकार सम्पूर्ण धर्म-की जड़ें जमी हुई दिखाई देती हैं श्रादि बर्बरता के संकुचित और अज्ञान तिमिरान्ध संकल्पो में ।" पदार्थवादी दार्शनिकों की यह मान्यता नितान्त अनैतिहासिक, थोथी, निःसार और मानव-समाज के संचित अनुभव के विपरीत है । अात्मा के विचार के प्राविभाव को स्वप्नों के उत्तेजन का परिणाम कहना जड़वादिता की सीमा है। कौनसा इतिहास देखकर यह परिणाम निकाला गया ? उत्तर मिलेगा कि वर्तमान काल में जो भी बर्बर समाज बच रहे हैं उनके विचारों का अध्ययन करने के पश्चात इस परिणाम तक पहुंचा गया है। ठीक है, पर प्रश्न यह है कि उन बर्बर समाजों में जो टोने-टोटके, यन्त्र-तन्न श्रादि के प्रयोग होते हैं, उनका भी अध्ययन किया गया है ? यदि नहीं, तो क्यों नहीं ? यदि हाँ, तो क्या कोई ऐसे अद्भुत दृग्विषय दीख पड़े हैं जिनका भाष्य वैज्ञानिक भौतिकवाद करने में हिचकता है ? बर्बर समाज में जो भी पैठ पाये हैं उन्हें सहस्त्रों बार इस प्रकार के महदाश्चर्यपूर्ण विषयों से पाला पड़ा है । पदार्थवादी दार्शनिकों ने उनका कोई समीचीन स्पष्टीकरण किया या केवल उन बातों को कपोल कल्पना कहकर ही उन्होंने टाल दिया ? बर्बर समाज की स्वास्नीदित छायाओं को आत्मा विषयक विचार की जननी मानने-मनवाने का उपहासास्पद प्रयत्न करने वाले जन क्या स्पष्टीकरण करते हैं उन विज्ञानोपरि घटनाओं का जो चन्द्रशेखर वेंकटरमण जैसे वैज्ञानिकों को भी श्राश्चर्य में डाल देती हैं ! पोटे- शियम साइनाइड नामक विष के अणुमान से क्षण भर में मृत्यु हो जाती है, कलकत्ता साइन्स इन्स्टीब्य ट में डा. रमण के सम्मुख एक हठयोगी ने इतना साइनाइड विष खा लिया जिससे सैकड़ों मनुष्य मर सकते थे, और वह खड़ा व्याख्यान देता रहा। जब रमण महोदय से पूछा गया कि यह क्या बात है? तो वे बोले-It is a challenge to science, यह विज्ञान को एक चुनौती है, प्रगतिवादी भौतिक दर्शन शास्त्री अथवा उनके अनुयायी यह पढ़कर हँसेंगे। पर अनुचित प्राग्रहपूर्ण हंसी में वास्तविक घटना निमज्जित नहीं होगी। भौतिक प्रतिक्रिया को-मानव शरीर पर हलाहल विष की प्राणघातक प्रतिक्रिया को शक्ति अतिक्रमित कर दे, वह · क्या है ? आधिभौतिक,