पृष्ठ:क्वासि.pdf/१११

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खोलो ये बन्द द्वार सोलो तुम आकर अब ये मेरे 7द द्वार, मेरे घर छाया है गहन, सधन धकार , है मेरे बदद्वार । बद पडे हे मरे सब गवाक्ष गतागन, कहो किधर से गायें घनतम हर ज्योतिष्का ? ऊन उठा हूँ अब मै लख लरा यह तिमिर सधन, भाओ, आघात करो, खुल जाएँ ये कितार, सोला समबद्ध द्वार । २ यह स्थान मानव का कर लेना बदद्वार, यो ही वह लेता है निज शिर पर तिमिर भार, यों करता विवश उसे आत्म सुरक्षा विचार आकर मेटो तो, प्रिय, मेरा यह हिय शिकार । दूर करो अधकार। ३ आज तुम्हें मानव को कुछ उन्नत करता है, उसका यह ग्राहकार तुम्हें विगत करता है, छियासी