पृष्ठ:क्वासि.pdf/११८

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प्रिय मम मन आज श्रान्त मात नयन, अण त, श्रात वचन, चरण श्रात, आज श्रात गम मा, प्रिय, इद्रिय उपकरण श्रात । १ यह पूणित गति प्रमाह, यह चक्रित काल कनन,- यह चिर मण्डलाकार सतत नक्षन चलन, घेख पेख हूँ अवाक् , आक्ल मम प्रारा, ललन, मै 7 का त दशी, मै क्षीण शक्ति, लात, भ्रात, प्रिय मम मन माज श्रात। २ शिर पर म व तर का वचुल गति भार लिये, जमों की हार लिये, स्मृति का अम्बार लिये,- मेरे प्रिय, आया हूँ मे प्रपच क्षार लिये। इतना दिक् काल क्रमण कर आया हूँ निता त, प्रिय, मम मन आज श्रात । ३ केसे मैं समझू इस जीवन से गिन मरण ? पग पग पर मरता हूँ मे अति निविण्ण चरण । तिरानवे