पृष्ठ:क्वासि.pdf/१२४

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बासि आज अनहोनी हुई ऐसी, की जो या न होनी, ओर कुछ दिन तो रहोगी तुम, हमें निश्वास था यह , देवि, इतने ही दिनों का क्या यहाँ प्रावास था यह ? ४ कोन थीं तुम एक कोमल कपना सी, निठुर जग में ? कोन थीं तुम सुमन गॅखुरी सी. विपम इस नियति मग में ? कोन यी तुम, भक्ति सी, नित नह के हिय चिर विलग म ? कौन थीं ? किस देश की यो ? 77 विचित्र निवास था यह ? देवि, इतने ही दिनों का क्या यहाँ श्रानास या यह ? ५ निराशा सिकता कुपथ में अश्म रेसा सी सुभक्ति, घायु झम्पन में धाल से हिम शिखर सी तुम अशक्ति, निपट अधियारे गगन में ज्योतिकारणका सी अकम्पित,- आज प्राणायाम का क्या आखिरी निश्वास था यह ? देवि, इतने ही दिनों का क्या यहाँ आनास था यह नियानवे