पृष्ठ:क्वासि.pdf/१२५

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उड चला चदमा उड चला इस साय नम में, मन विहग तज निज बसेरा। क्यों चला ? किसि दिशि चला? किसने उसे शो श्राज टेरा? ? १ चयों हुए सहसा स्फुरित अति शिथिल सस्यय परा उसके ? क्या हुए है उदित नभ में, अकलक उसके विकत शातुर सा उडा है, हिम श्राज मेरा! उड चला है साध्य नभ में मन विहग तज निज बसेरा । २ शू या आतुर निम वरण, आज उसको मिल गया है, क्षितिज की विस्तीर्णता का, पवन अञ्चल हिल गया है, सौ