पृष्ठ:क्वासि.pdf/१३७

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दान का प्रतिदान क्या, प्रिय ? दान का प्रतिदान क्या, प्रिय वय की जा दे चुका, तब, प्रति गृहण का भान चया प्रिय ? दान का प्रतिदान क्या, प्रिय रोह के इस हाट में मैं न जागा भाव वया है? भाव तालों में पडे जो, ह सुरति का चार क्या है ? दा7 पर जब प्राण है, तर शेष मो कुछ दा गया है ? जबकि दे डाला समां कुछ, प्राशि का फिर ध्यान क्या, प्रिय ? दान का प्रतिदान वया, प्रिय २ मे न मॉगूगा कि मुझको, निठुर, तुम निज नेह दे दो, मे न मोगूगा कि मम मरू प्राण को कुछ मेह दे दो, में सतत अनिकेत क्यों मॉगू कि तुम इक गेह दे दो ? तच उपेक्षा के गरल का कर न तू गा पान क्या प्रिय ? दान का प्रतिदान क्या, प्रिय ? 3 ३ तुम न मेरे हो सको, तब भी गुझे क्या शोच, प्रियतम ? स्फदिक हीरक में, कहो, कर ना सका है लोच, प्रियतम ? एक सौ बारह