पृष्ठ:क्वासि.pdf/२१

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२२ सरथाः यमराज टालना चाहते हैं; चमकदार खिलौनों का लालच देकर मचि- केता की बहलाना, फुसलवाना चाहते हैं। अन्य बरं नचिकेतो वृणीष्व, मा मोपरोत्सीरति मा सुजैनम् । "नचिकेता, अन्य वर माँग (मचिकेतः अन्यम् वृणीय) सुकने (आ) मत कर प्रार्थना (इसके लिए) (मा उपरोस्लाः) । मुझे इस (बर के कान) से तू मुक्त कर दे (मा एनम् अति स्पृज) । इसके आगे भी वे जाते हैं । यनराज गह- . युवक नचिकेता को मनमोहक वरदान देने की बात कहते हैं । वे कहने लगे- वे ये कामा दुर्लभा मर्त्यलोके, सर्वान् काश्यलः प्रार्थयस्व; इमा रामाः सतूर्याः न हीदृशा लम्भनीया मनुष्यैः । ग्राभिर्मत्प्रताभिः पनि नचिकेतो मरग मानुसाक्षीः । "मत्यलोक में जो-जो भी इच्छा-विषय दुर्लभ है ( मालोके थे ये कामाः दुर्लभाः) ( उन) सब इच्छा विषयों को तू अपने चश्नानुसार माँग सर्वान् कामान छन्दतः प्रार्थयस्व)। ये रथारोहिणी, वागधारिणी सुन्दरियों हैं (इमा सस्थाः सर्थाः रामाः), इनके संदेश सुन्दरियाँ मनुष्यों द्वारा लभ्यनीय (प्राय) हैं ही नहीं (ईदृशाः रामाः मनुष्यैः नहि सम्मनीशः)। मुझ द्वारा प्रदत्ता इन (नन्दारियों द्वारा तू परिचारित, सेवित, हो (मप्रताभिः शामिः रामाभिः परिचारयस्व)। हे नचिकेता, मरण के विषय में फिर प्रत पूछ (नचिकेतः मरणं मा अनुप्राक्षीः)। पर नचिकेता दृढ़ है। वह श्राचार्य यम से विनम्रतापूर्वक, शिन्तु दृढ़ता न वित्तेन तर्पणीयो मनुष्यः x X 45 नान्यं तस्मान्नत्रिकेता वृणीते ।। 'मनुष्य वित्त (धन) से तृप्त नहीं होता (मनुष्यः वित्तेन न तर्पणीयः), इसलिए नचिकेता इस वर से अन्य वर का बरण नहीं करता (नचिकेता तस्मात् अन्य न वृणीते)। इस भव्य, उदात, हृदय-मन्थनकारी सम्भाषण का क्या अर्थ है ? अर्थ केवल यह है कि अन्तर पट के पार झोंकने की प्रेरणा, अवगुएठन को खोलने की