पृष्ठ:क्वासि.pdf/२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२५ संस्कृति का जैन मुनि प्राचार्य तुलसों है। संस्कृति रमण महर्षि है। श्राप हँसेंगे। पर हंसने की बात नहीं है। संस्कृति है श्रात्म-विजय, संस्ाति है राम-वशीकरण, संस्कृति है भाव उदात्तीकरण । जो साहित्य मानव को इस ओर ले जाय, वही सत् साहित्य है। बालकृष्ण शर्मा ५, विएडसर प्लेस, नई दिल्ली... ७ सितम्बर, १९५२