पृष्ठ:क्वासि.pdf/२८

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कब मिलेंगे ध्रुव चरण वे ? चलित चरणों की जगह अब कब मिलेंगे ध्रुव चरण वे ? युग-युगान्तर के समाश्रय, वे अडिग, अशासा-रारा वे ? कब मिलेंगे ध्रुव चरण वे ? इधर देखा, उधर झाँका, मिल गए कुछ चपल लोचन, मैं समझ बैठा कि मुझको मिल गए संकट-विमोचन, किन्तु करता हूँ विगत का आज जब सिंहावलोकन, देखता हूँ तब अनस्थिर भावना के प्राचरण ये; का मिलेगे ध्रुव चरण वे ? २ पारा के उच्छ्वास में मैं खींच लाया शूल कितने ? और इस निःश्वास में उड़-उड़ गए हैं फूल कितने ? दान में स्मृति-रूप कंटक मिल गए हैं आज इतने - कि उन सुमनों के हुए हैं शूल ही नव संस्करण ये; कब मिलेंगे ध्रुव चरण वे? नेत्र विस्फारित किए, जल, थल, कार में नित- फिर रहा हूँ खोजता कुछ वस्तु मैं व्याकुल, अवंचित;