पृष्ठ:क्वासि.pdf/३५

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विदेह चल, उतार अंग बेस्तर, आली, तू क्षण भर में होगी पियमय, श्राव केसा दुराव साजन से पूर्ण हुश्रा तेरा क्रय विक्रय, ? २ तुझको लेने या पहुंचे है, स्थ पर चढकर मनहर साजन, कुछ कुछ उनकी कुछ कुछ तेरी आज हुई हे सप्निल जय जय, ३ नतलोचने, हृदय की नीवी खोल, नयन में सहज भार भर, दिखला द अपने पीतम का जनम जनम का अपना निश्चय कितने ३ उपवास पियासे, कितने निराहार ब्रत, सयम, आज सफल हो गए अचानक, मागे सव भव व भय संशय, ५ अवश दूर ही कर होगा यह भ तरपट, यह आच्छादन, आत्म रमण की त मयता में क्या सचैल परिरम्भरण परिणय ? ६ यह पल्ता, यह पट, यह अञ्चल भारभूत हो जाएँगे सब, अरी । तनिक आने तो दे तू उनकी मादक सुरली की लय । आट