पृष्ठ:क्वासि.pdf/३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

हम नूतन पिय पाए हम नूतन पिय पाए, री सखि, हम जूतन पिय पार, इस वस त ऋतु में सु पुरातन, नवल वेश घर आए, री सखि, हम नूतन पिय पार । P माघ मेघ सम संशय घन गन गन गगनाङ्गन डोले, भय भरते, दुरा गाज गिराते, धुमडे हौले होते, छुप नेठे ये घनाचरण में पीतम च दा भोले, यितु नाज उनने निग कर से धन भातरण हटाए, री सरिस, हम नूता पिय पाए । २ मेघ हटे, चमका गगनाजन, विहसे सजन सुहाने, लगन चकोर पड्स से गूजे सन सन मिल्ल । तराते, मौन हमार नेश देश में उमडे स्वर रस साने, क्या बतलाएँ केसे हमने आपुन सजन रिझाए, री सखि, हम नूतन पिय पाए । ३ हम जो रादा ताकते रहते है नित अम्बर सूना-- हम जो सदा चाहते रहते है छाया 7 बारह