पृष्ठ:क्वासि.pdf/४०

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वासि आज ध य है, देरा चमकता विजित भाग दिन दूना, ओट वस ती उत्तरीय पिय ऑगन में मुसकाए, री सखि, हम नूतन पिय पाए । ४ हम जाने है परम तापसो हमरे सजन सुजाना, हम जाने हैं परम निरिद्रिय हमरे थे मेहमाना, पर, हमने पनी सेद्रियता को सार्थक ही जाना, जोकि आज इन उपकरणों से हमने पिय गुण गाए, री सखि, हम नूतन पिय पाए । रेल पथ लखनऊ-कानपुर दिनाङ्क १७२ ४० तेरह